भिलाई नगर। सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र ने इस्पात बिरादरी को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए निरंतर प्रयास किया है। यहां तक की अस्पताल की पुरानी सुविधाओं को भी और अधिक उन्नत बनाने के समग्र प्रयास को मूर्त रूप दिया है। इसका ताजा तरीन उदाहरण है नवजात (नियोनेटल) आईसीयू का अपग्रेडेशन व उन्नयन।
निदेशक प्रभारी ने किया उद्घाटन
आजादी का अमृत महोत्सव के पावन अवसर पर जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय एवं अनुसंधान केंद्र के इस अपग्रेडेड व उन्नत नवजात आईसीयू का शुभारंभ भिलाई इस्पात संयंत्र के निदेशक प्रभारी अनिर्बान दासगुप्ता ने किया। भिलाई के इस्पात बिरादरी को एक और सौगात मिला।
इस अवसर पर संयंत्र के कार्यपालक निदेशक प्रभारी (कार्मिक एवं प्रशासन), के के सिंह, कार्यपालक निदेशक (सामग्री प्रबंधन) ए के भट्टा, कार्यपालक निदेशक (वर्क्स) अंजनी कुमार, कार्यपालक निदेशक (खदान), तपन सूत्रधार, कार्यपालक निदेशक (कार्मिक एवं प्रशासन), एम एम गद्रे, कार्यपालक निदेशक (परियोजनाएं), एस मुखोपाध्याय, कार्यकारी कार्यपालक निदेशक (वित्त एवं लेखा), डी एन करन तथा मुख्य चिकित्सा अधिकारी प्रभारी (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएँ) डाॅ एम रविन्द्रनाथ, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ प्रमोद बिनायके सहित वरिष्ठ चिकित्सकों व चिकित्सा बिरादरी के अन्य सदस्य उपस्थित थे।
भिलाई इस्पात संयंत्र के निदेशक प्रभारी अनिर्बान दासगुप्ता ने चिकित्सकों व उच्च अधिकारियों के साथ उन्नत नियोनेटल आईसीयू का दौरा किया और सुविधाओं का अवलोकन किया।
नियोनेटल आईसीयू का गौरवशाली इतिहास
उल्लेखनीय है कि जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय एवं अनुसंधान केंद्र, भिलाई के नवजात आईसीयू को 1988 में बाल चिकित्सा आईसीयू से अलग इकाई के रूप में स्थापित किया गया था, जिससे बीएसपी अस्पताल में नवजात शिशुओं की गुणवत्तापूर्ण देखभाल की जा सके। साथ ही क्रॉस संक्रमण के जोखिम को कम किया जा सके। अपने स्थापना काल से ही नियोनेटल आईसीयू हजारों नवजात शिशुओं की जीवनरक्षा कर चुका है। बीएसपी अस्पताल के नवजात आईसीयू को 1994 में नेशनल नियोनेटोलॉजी फोरम ऑफ इंडिया द्वारा लेवल 2ए की मान्यता प्राप्त है।
अपग्रेडेशन में इन्होंने दिया योगदान
सीएमओ इंचार्ज डॉ एम रवींद्रनाथ तथा सीएमओ डॉ प्रमोद बिनायके के मार्गदर्शन में अतिरिक्त सीएमओ एवं एनआईसीयू के प्रभारी, डॉ सुबोध साहा, महाप्रबंधक (एम एंड एस) बलबीर सिंह तथा शाहिद अहमद के अथक प्रयासों से इस उन्नयन कार्य को मूर्त रूप दिया जा सका। वरिष्ठ प्रबंधक (एम एंड एस) द्वय अब्दुल हक, शेखर उपलांचेवार ने कार्य प्रगति की निगरानी की तथा कार्य योजना के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। इसके साथ ही डॉ संजीबनी पटेल, डॉ नूतन वर्मा और डॉ माला चैधरी सहित नियोनेटल यूनिट के डॉक्टर पूरे नवीनीकरण प्रक्रिया में शामिल रहे हैं और अपने बहुमूल्य सुझाव देते हुए इसे बेहतर बनाने में योगदान दिया। इसके अतिरिक्त नवजात आईसीयू के नर्सिंग स्टाफ ने अपनी बहुमूल्य राय और इनपुट देकर अहम भूमिका अदा की।
उन्नत नियोनेटल आईसीयू की विशेषता
इस उन्नत नियोनेटल आईसीयू में विशेष रूप से वेंटिलेटर, सीपीएपी मशीन, एलईडी फोटोथेरेपी, मल्टी पैरा मॉनिटर्स, ब्लेंडर के साथ केंद्रीकृत ऑक्सीजन आपूर्ति, लैमिनर एयर फ्लो मशीन, इन्फ्यूजन पंप, ट्रांसपोर्ट इन्क्यूबेटर, पोर्टेबल एक्स-रे मशीन और पोर्टेबल यूएसजी जैसे अति आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है। इन सुविधाओं के फलस्वरूप समय से पूर्व जन्मे शिशुओं का प्रबंध, जन्म से कम वजन वाले शिशु, बहुत कम वजन और जन्म के समय बेहद कम वजन वाले शिशुओं, जन्म से श्वसन अवरोध से ग्रसित शिशु, मेकोनियम एस्पिरेशन सिंड्रोम, नवजात पीलिया और नवजात सेप्सिस रोगियों आदि के जीवन बचाने में मदद मिलेगी।
22 बिस्तरों वाले इस उन्नत एनआईसीयू में 5 क्रिटिकल बेड, 5 फोटोथेरेपी बेड, स्टेप डाउन आईसीयू, अलग आइसोलेशन रूम, इसके अतिरिक्त माताओं को स्तनपान के महत्व के बारे में सिखाने के साथ-साथ स्तनपान हेतु प्रोत्साहित किया जाता है। साथ ही “कंगारू मदर केयर” जिसके लिए अनुभवी हैं और समर्पित नर्सिंग स्टाफ, विशेषज्ञ नवजात के देखभाल के लिए चौबीसों घंटे उपलब्ध है।
बीएसपी अस्पताल का नवजात शिशु मृत्यु दर राष्ट्रीय स्तर से भी हैं बेहतर
बीएसपी अस्पताल के नवजात आईसीयू के कुशल चिकित्सकों तथा पैरा मेडिकल स्टाफ के समर्पण ने उत्कृष्टता की एक नयी मिसाल कायम की है। यही वजह है कि बीएसपी अस्पताल का नवजात शिशु मृत्यु दर राष्ट्रीय स्तर से कहीं कम है।
नवजात मृत्यु दर (एनएमआर) किसी भी संस्थान द्वारा प्रदान की जाने वाली स्वास्थ्य देखभाल सुविधा के गुणवत्ता के श्रेष्ठ संकेतकों में से एक है। विदित हो कि भारत की नवजात मृत्यु दर 26 प्रति 1000 जीवित शिशु जन्म है, जिसका लक्ष्य नवजात मृत्यु दर को वर्ष 2030 तक एकल अंक तक कम करना है।
जब कि बीएसपी के जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय एवं अनुसंधान केंद्र में एनआईसीयू का नवजात मृत्यु दर प्रति 1,000 जीवित शिशु जन्म पर 7 है, जो राष्ट्रीय आंकड़े से कहीं आगे है और यह देश के एम्स-नई दिल्ली जैसे शीर्ष संस्थानों तथा केरल और नागालैंड जैसे कुछ राज्य के बराबर है।
यह उल्लेखनीय है कि 1 जून 2022 से जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय एवं अनुसंधान केंद्र में नवजात शिशुओं के इलाज के लिए “प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई)” शुरू की गई है। इस कार्यक्रम के तहत कई नवजात शिशुओं को नया जीवन दिया जा सकेगा।