पामगढ़ 16 सितंबर 2022:! बुधवार को साहू समाज के एक बुजुर्ग की मौत हो गई। उसका एक बेटा धर्म परिवर्तन कर लिया था। इसकी वजह से उसे पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने नहीं दिया गया। बाकी भाइयों के बीच पंचायती दिनभर चलती रही तो बहुओं ने दूसरे दिन अंतिम संस्कार का निर्णय लेते हुए मृतक ससुर को कंधा दिया और अंतिम संस्कार किया।
पामगढ़ ब्लॉक की पंचायत तनौद निवासी बिहारी लाल साहू (90 साल) के पांच बेटे ओंकार साहू, बेदराम साहू, बुधराम साहू, लच्छीप्रसाद साहू, लहुरमन साहू बेटे हैं। उसका दूसरा बेटा बेदराम साहू ने हिन्दू धर्म को छोड़कर दूसरे धर्म को अपना लिया था। उसने खुद को घर व साहू समाज से अलग कर लिया था। बिहारी लाल छोटा बेटा लक्ष्मी प्रसाद साहू के साथ गांव में रहता था।
बुधवार की सुबह 11 बजे बिहारी लाल की मौत हो गई। घर में उसके अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू हुई तो पिता की मौत की खबर सुनकर बेदराम भी घर पहुंचा। वह अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होना चाह रहा था। चूंकि वह समाज छोड़कर अलग रहता था, इसलिए सामाजिक बंधन को देखते हुए उसके 4 अन्य भाइयों ने उसे धर्म परिवर्तन का आरोप लगाते हुए पिता को कांधा देने से मना कर दिया।
इस बात को लेकर भाइयों के बीच वाद-विवाद होने लगा। एक पक्ष उसे रोकने में लगा रहा तो वह खुद मृतक कर्म में शामिल होने की जिद पर अड़ा रहा। गांव का माहौल बिगड़ने लगा और अंतिम संस्कार का काम रुक गया। इधर दूसरे दिन सुबह भी भाइयों में झगड़ा होता देख बहू लक्ष्मीबाई, बिरमा बाई, गिरजाबाई, रामप्यारी साहू व पूर्णिमा साहू ने खुद ही अपने ससुर का अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया।
बड़ी बहू बोली- ससुर की तुलना पिता से की जाती है
इस संबंध में स्व. बिहारी लाल साहू के बड़ी बहू लक्ष्मी देवी साहू ने बताया कि ससुर की तुलना पिता से की जाती हैं। पिता की अंतिम इच्छा पूरी कर बेटे का फर्ज निभाया गया है। बहुओं ने सामाजिक रूढ़ियों को तोड़ बेटे का धर्म निभाकर अपने पिता का अंतिम संस्कार कर बड़ा संदेश दिया है। इसके लिए समाज के लोगों ने भी साथ दिया, जिसके बाद नम आंखों और कांपते. हाथों से बेटी ने अपने पिता की चिता को आग दी।