रायपुर 10 अप्रैल 2024:- hzardous Staff Vehicles In Industrial Groups : बड़े औद्योगिक समूहों में चंद रुपयों के लिए स्टाफ की जान-माल का सौदा किया जा रहा हैं। निजी कंपनियां अपने स्टाफ के लिए जो बसें उपलब्ध करवा रही हैं वो खटारा बी हैं और कालातीत भी। परिवहन शुल्क से बचने और प्रबंधन के लालच का ही नतीजा है कि स्कूल और यात्री बसों की परमिट वाली रिजेक्टेड बसों में फैक्ट्री स्टाफ को धोया जा रहा है। सवाल उठने लगा है कि क्या जानलेवा हादसों प्रशासन और विभाग एक्शन लेगा उससे पहले नहीं ! केडिया डिस्टलरी की स्टाफ बस के गंभीर हादसे के बाद रायपुर स्थित निको कंपनी समेत अन्य बड़े उद्योग समूहों की स्टाफ बसों की वास्तविकता की पड़ताल किया गया तो सनसनीखेज खुलासा हुआ।
जैसा कि मंगलवार रात्रि को दुर्ग जिले के कुम्हारी टोल के पास एक केडिया डिस्टिलरी स्टाफ बस का बहुत दुखद घटना हुआ है जिसमे 11 लोगो की मौत और करीब 7 लोग गंभीर रूप से घायल है और कई अन्य घायल है वैसे ही दुर्ग और रायपुर जिले में रहने वाले कई कंपनियों के स्टाफ अपनी जान जोखिम में रखकर कंपनी द्वारा दिलाई जाने वाली बसों में आना जाना करते है जिसका माप दंड सही है या नही उसकी जांच प्रशासन नही करता है ।
रायपुर शहर के एक बड़ी कंपनी निको स्टील प्लांट में कुछ ऐसा ही हो रहा जहा पर उनके स्टाफ को लाने ले जाने के लिए जिन बसों का उपयोग किया जा रहा है वो सारी बसे ना ही स्टाफ बस है और ना ही सुरक्षा की दृष्टि से सही है ये कंपनी अपने स्टाफ को लाने ले जाने के लिए दस से पंद्रह साल पुरानी स्कूल बस और अन्य बसों का उपयोग कर रही है जिसकी किसी भी प्रकार से कोई भी जांच प्रशासन नही कर रही है मोटर व्हीकल एक्ट के तहत स्टाफ बसों के चलाने के लिए और स्टाफ की सुरक्षा के लिए अलग अलग नियम कायदे है जिसको देखने वाला कोई नही है जिस कारण इतने बड़े प्रतिष्ठित कंपनी में किसी भी प्रकार की पुरानी बसों का इस्तेमाल किया जा रहा है
जिसमे कई बसों में ना तो स्टाफ परमिट है और ना ही कई बसों का फिटनेस है ।कंपनी में चलने वाले बसों को शासन द्वारा स्टाफ परमिट ईशु किया जाता है जो की प्राइवेट सर्विस व्हीकल के नाम से रजिस्टर्ड होता है जिसका तिमाही टैक्स 450 से 600 तक प्रति सीट हर तिमाही में पटाया जाता है जिसको बचाने के लिए नीको इंडस्ट्रीज और रिलायंस ट्रेवल्स द्वारा शासन की टैक्स चोरी करते हुए अपने स्टाफ की जान को जोखिम में डालते हुए ऐसे स्कूल बसों में जो की 15 साल पुरानी है जो की परिवहन विभाग द्वारा कंडम मानी जाती है ऐसे बसों से नीकोकंपनी अपने कर्मचारियों को लाना ले जाना करती हैं।
निको समेत कई बड़ी ऐसी कंपनियां है जिन्होंने स्कूल बसों और पैसेंजर वाहनों को हायर किये है। परिवहन नियमों की अनदेखी करते हुए रिजेक्डेड बसों में कर्मचारियों को लाया ले जाया जरा है। वहीं जिम्मेदार विभाग और प्रशासन भी महज फिटनेस और परमिट जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रहा है। निको जैसी बड़ी कंपनी के प्लांट में अटैच की गई गाडिय़ां परिवहन नियमों का पालन किए बगैर सड़क पर बेधड़क दौड़ रही है। कई गाडिय़ां आउट डेटेड हो चुकी है जबकि कई वाहन कंडम होने की कगार पर हैं।
जानकारी के मुताबिक स्टाफ को लाने ले जाने के लिए जिन बसों का उपयोग किया जा रहा है वो सारी बसे ना ही स्टाफ बस है और ना ही सुरक्षा की दृष्टि से सही है। ये कंपनी अपने स्टाफ को लाने ले जाने के लिए दस से पंद्रह साल पुरानी स्कूल बस और अन्य बसों का उपयोग कर रही है जिसकी किसी भी प्रकार से कोई भी जांच परिवहन विभाग या फिर पुलिस विभाग द्वारा नहीं किया जा रहा है। मोटर व्हीकल एक्ट के तहत स्टाफ बसों के चलाने के लिए और स्टाफ की सुरक्षा के लिए अलग अलग नियम कायदे है जिसे बिल्कुल दरकिनार कर दिया गया है। जिस तरह के हालात हैं कंडम व अनफिट गाडिय़ों के दौड़ लगाने से सडक़ों पर हादसे कभी भी हो सकते हैं।