दुर्ग 30 अगस्त 2024 :-अपहरण और मारपीट के मामले में आरोपी नगर निगम भिलाई -चरोदा के सभापति कृष्ण चंद्राकर की अग्रिम जमानत याचिका को प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश शेख अशरफ के न्यायालय ने खारिज कर दी न्यायाधीश अपने आदेश में लिखा है कि केस डायरी के अवलोकन से प्रकरण में अभियुक्त की संलिप्तता प्रथम दृष्ट्या दर्शित हो रही है। जहां तक गुप्त रुप से और सदोष परिरोध किये जाने के आशय से अपहरण या व्यपहरण का प्रश्न है।
, इस स्तर पर विनिश्चित नहीं किया जा सकता है। केसडायरी के अनुसार अभियुक्त के विरुद्ध पूर्व में भी आपराधिक प्रकरण दर्ज होना दर्शित है। प्रकरण विवेचना के स्तर पर है तथा अन्य साक्ष्य का संकलन किया जाना है। ऐसी दशा में प्रकरण के तथ्य एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए इस स्तर पर आवेदक/आरोपी को अग्रिम जमानत का लाभ दिया जाना उचित प्रतीत नहीं होने से उसके द्वारा प्रस्तुत आवेदन अंतर्गत धारा 482 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता निरस्त किया जाता है।
पुरानी भिलाई पुलिस ने 26 अगस्त को अपहरण और मारपीट के मामले में आरोपित नगर निगम भिलाई चरोदा के सभापति कृष्णा चंद्राकर की अग्रिम जमानत आवेदन को न्यायालय ने शुक्रवार को सुनवाई के बाद खारिज कर दिया। आरोपित द्वारा प्रस्तुत अग्रिम जमानत आवेदन पर प्रार्थी की ओर से आपत्ति लगाई गई थी। जिसमें बताया गया कि आरोपित को मारपीट के एक मामले मे न्यायालय द्वारा पहले भी दण्डित किया जा चुका है।
प्रकरण के मुताबिक 26 अगस्त की शाम करीब सात बजे के आसपास के बजरंग दल के कार्यकर्ता अमित लखवानी का अपहरण कर उसके साथ मारपीट की गई थी। अमित की शिकायत पर थाना भिलाई-3 पुलिस ने कृष्णा चंद्राकर सहित अन्य लोगों के विरुद्ध विभिन्न धाराओं में अपराध पंजीबद्ध किया था। इस मामले में आरोपित कृष्णा चंद्राकर ने प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश दुर्ग शेख अशरफ के न्यायालय में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन लगाया था। आवेदन पर आज सुनवाई हुई। प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता सौरभ चौबे ने अग्रिम जमानत आवेदन पर आपत्ति लगाई।
जिसमें बताया गया कि कृष्णा चंद्राकर नगर निगम भिलाई-3 का सभापति है। उसे मारपीट के एक मामले में न्यायालय द्वारा पहले ही दण्डित किया गया है। दोषसिद्धी आरोपित द्वारा पुन उसी प्रकृति का अपराध करना उसके अपराधिक प्रकृति को दर्शाता है। आपत्तिकर्ता द्वारा यह भी उल्लेख किया गया कि आरोपित द्वारा संगठित समूह बनाकर अपराध किया गया है। अत: जमानत आवेदन निरस्त किया जाए। केस डायरी का अवलोकन करने पर न्यायालय ने पाया कि प्रकरण विवेचना के स्तर पर है तथा अन्य साक्ष्य का संकलन किया जाना है। इस स्थिति में आरोपित को अग्रिम जमानत का लाभ दिया जाना उचित प्रतीत नहीं होने से अग्रिम जमानत आवेदन निरस्त किया जाता है।