पकड़ा गया अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष का झूठ जिंदा को मृत घोषित करनेवाले भानुप्रताप सिंह की रिपोर्ट फर्जी निकली…दिलबंधु के जिंदा होने की ग्राम सचिव द्वारा पुष्टि के बाद आयोग के चेयरमैन के षड़यंत्र का पर्दाफाशघाटबर्रा के दिलबंधु मझवार मृत नहीं अपितु जीवित ने किए हैं हस्ताक्षर आयोग के सचिव के बिना ही अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह ने बनाया था जाली रिपोर्ट
उदयपुर, 11 नवंबर 2024: पिछले चार दिनों से अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह द्वारा सचिव की पुष्टि के बिना ही बनाए गए निराधार रिपोर्ट द्वारा सनसनी मचाने के प्रयास पर पानी तब फिर गया जब घाटबर्रा के दिलबंधु मझवार को मृत नहीं परंतु जीवित पाया गया। भानुप्रताप सिंह जो की काँग्रेस के एक कार्यकर्ता भी है उन्होंने दावा किया था की परसा खदान की ग्रामसभा के प्रस्ताव मे एक मृतक दिलबंधु के भी हस्ताक्षर है। इसकी तहकीकात में राज्य प्रशासन और जागृत समाचार माध्यमों द्वारा दिलबंधु के जिंदा होने की पुष्टि की गई। सोमवार के दिन कथित मृतक की पहचान को प्रमाणित करने के लिए उदयपुर तहसील कार्यालय पर ले जाया गया जहां यह पाया गया की रजिस्टर में ग्रामसभा के प्रस्ताव में जिस दिलबंधु के हस्ताक्षर हैं वह बाकायदा वही है और जीवित है।
अगनुराम मझवार के 28 वर्षीय पुत्र दिलबंधु मझवार ने समाचार माध्यमों को बताया की, “मैँ ग्राम घाटबर्रा के अगरियापारा का निवासी हूँ। मेरा आधार कार्ड क्रमांक 9605 27 है। मुझे आप के माध्यम से पता लगा की कुछ लोगों द्वारा मेरे मृत होने की खबर फैलाई जा रही है। जिसका मैं खंडन करता हूँ। इसके लिए मैं मेरे गांव के ग्राम पंचायत सचिव श्री गोपाल राम यादव से भी संपर्क किया हूँ। जिसके लिए वे मेरा पंचनामा सभी साक्ष्यों के हस्ताक्षर लेकर मुझे दिया है। इसकी छायाप्रति मैं आज जिलाधीश महोदय और एसडीएम साहब को जमा कराया हूँ।
यह उल्लेखनीय है की रायपुर स्थित कुछ तत्व द्वारा सरगुजा जिले की परसा कोयला खदान के लिए आयोजित की गई ग्राम सभा को फर्जी बताकर अनजान माध्यमों द्वारा गलत समाचार प्रकाशित कर उसे सोशल मीडिया में चमकाकर छत्तीसगढ़ के खदान क्षेत्र को बदनाम करने का अभियान चलाया जा रहा है। जबकि हकीकत यह है की इसी आयोग ने हाल ही में फर्जी ग्रामसभा के आक्षेपों को घनिष्ठ जांच पड़ताल के बाद खारिज कर दिए थे। यहाँ तक की अभी तक परसा खदान के विकास विरोधी तत्व अपने दावों को किसी भी न्यायालय में साबित कर नहीं पाए है। हालांकि अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह बिना किसी आधार पर सिर्फ चालीस लोगों से आवेदन लेकर एक तरफ रिपोर्ट जारी कर दी थी जिसे आयोग के सचिव ने मान्य किया नहीं था। याद दिला दें की परसा खदान के आसपास कुछ दस हजार स्थानीय रहते हैं।
रायपुर के एक कथित अभियानकारी जो की चार पन्ने की रिपोर्ट में सचिव के दस्तखत ना होने की हकीकत को छुपाने के लिए आगे के सिर्फ तीन ही पन्ने अपने सोशल मीडिया पर डाल कर गलत दावे भी कर दिए थे जो अब झूठे साबित हो गए है ।
मैंने ही जनपद पंचायत द्वारा परसा कोयला ब्लॉक के लिए दस सितंबर को आयोजित ग्राम सभा के उपस्थिति पंजी में अपना हस्ताक्षर किया है। कुछ लोगों की सोची समझी षड्यन्त्र के तहत मेरे मृत होने की झूठी खबर फैलाने के चलते मेरे अस्तित्व पर सवाल खड़ा किया है। जिससे मुझे बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। “दिलबंधु ने जागृत समाचार माध्यमों को धन्यवाद देते हुए कहा की मेरा सच अब सभी के सामने आ जाएगा।“
वहीं इस सिलसिले में ग्राम पंचायत सचिव श्री गोपाल राम यादव ने कहा कि जिस दिन गांव में ग्राम सभा आयोजित की गई थी उस दिन मेरे समक्ष ही उपस्थित ग्रामवासियों ने हस्ताक्षर किया है। इसमें से दिलबंधु को कुछ मीडिया के माध्यम से मृत होने की बात का पता चला है जो की सरासर गलत है। इस झूठी खबर का मैं खंडन करता हूँ। आज मैंने दिलबंधु का जीवित होने के लिए पंचनामा तैयार किया है जिसे माननीय जिलाधीश महोदय के माध्यम से कोर्ट में प्रस्तुत किया जाएगा।
इस दौरान सारी वैधानिक मंजूरियों के साथ राजस्थान सरकार का विद्युत उत्पादन निगम अपनी परसा खदान को कार्यान्वित करने के लिए तैयारी कर रहा है जिसके चलते आदिवासी जिले में 5,000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होंगे। सरकारी और समाचार माध्यमों की निजी स्वार्थ के लिए चलाए जा रहे महंगे अभियान का भंडाफोड़ होने के बाद अब देखना होगा की दिलबंधु की अस्तित्व की लड़ाई क्या मोड़ लेती है और वह झूठी खबर फैलाने वालों पर क्या कार्यवाही करेंगे।