छत्तीसगढ़ : छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय तथा केन्द्रीय पेट्रोकेमिकल इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी संस्थान के बीच हुआ एमओयू एवं हिंदी जीवन पद्धति की विशेषताएं पर व्याख्यान का आयोजन….

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भिलाई नगर 16 अगस्त 2024:-  : छत्तीसगढ़ में तकनीकी शिक्षा और उद्योगों के बीच तालमेल को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय (CSVTU) ने केन्द्रीय पेट्रोकेमिकल इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (CIPET) रायपुर के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह कार्यक्रम छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय के तत्वाधान मे सी .एस् . वी टी यू के माननीय कुलपति डॉ .एम के .वर्मा जी की अध्यक्षता मे सम्पन्न हुआ । एमओयू पर CIPET रायपुर की ओर से डायरेक्टर डॉ आलोक कुमार साहू एवं CSVTU की ओर से रजिस्ट्रार डॉ अंकित अरोरा ने हस्ताक्षर किए l


(एमओयू) समझौते का उद्देश्य
इस समझौते का मुख्य उद्देश्य छात्रों को आधुनिक प्रौद्योगिकियों के माध्यम से कौशल विकास और उद्यमिता के क्षेत्र में सशक्त बनाना है साथ ही पेट्रोकेमिकल्स, प्लास्टिक, पॉलिमर, केमिकल इंजीनियरिंग, प के अन्य क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास के महत्व को पहचानना। इस एमओयू के द्वारा पहली बात प्रदेश में नवाचार, उद्यमिता और आजीविका सृजन को बढ़ावा देने के लिए स्टार्टअप्स के को-इन्क्यबेशन की सुविधा को शामिल किया गया है, जिसके माध्यम से एक स्टार्टअप दोनों संस्थानों में उपलब्ध सुविधाओं का लाभ उठा सकेगा ।


छात्रों के लिए ये होंगे विशेष लाभ
शोध और विकास के अवसर: इस साझेदारी के माध्यम से छात्रों को शोध और विकास के क्षेत्र में नए अवसर प्रदान किए जाएंगे। CSVTU और CIPET के संयुक्त प्रयासों से छात्रों को अपने प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ाने और व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करने का मौका मिलेगा। इससे छात्रों को न केवल उनके तकनीकी कौशल में वृद्धि होगी बल्कि उन्हें नए-नए प्रोजेक्ट्स के साथ उद्यमिता के क्षेत्र में प्रवेश करने का भी अवसर मिलेगा।


पेट्रोकेमिकल एवं प्लास्टिक्स टेक्नॉलजी का प्रशिक्षण एवं तकनीकी ज्ञान: विशेषज्ञों द्वारा छात्रों को प्लास्टिक टेक्नॉलजी और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उन्नत प्रशिक्षण की व्यवस्था उपलब्ध कराई जाएगी। संयुक्त रूप मे दोनों ही संस्थान एक दूसरे के विद्यार्थियों के प्रोजेक्ट्स एवं शोध कार्यों मे सहयोग करेंगे । इको फ़्रेंडली प्लास्टिक उत्पादों और कम लागत के पैकेजिंग विकल्पों का डिजाइन, विकास और विनिर्माण मे सहयोग किया जायगा


उद्यमशीलता का विकास: CSVTU अपने फाउंडेशन फॉर रुरल टेक्नॉलजी एण्ड आन्ट्रप्रनर्शिप (फॉर्ट) के माध्यम से छात्रों को उनके स्वयं के उद्यम शुरू करने में मदद करने के लिए आवश्यक संसाधन और मार्गदर्शन प्रदान करेगा। इससे छात्र न केवल नौकरी चाहने वाले बनेंगे, बल्कि नौकरी देने वाले भी बन सकेंगे, जिससे राज्य के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान होगा। यह पहल छात्रों को स्वावलंबी बनने और अपनी उद्यमशील क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करेगी।

भविष्य के अवसर
इस समझौते के अंतर्गत, विभिन्न कार्यशालाओं, सेमिनारों, और इंडस्ट्री विज़िट्स का आयोजन किया जाएगा, जिससे छात्र उद्योगों में होने वाली नवीनतम प्रगति से अवगत हो सकेंगे। यह छात्रों के लिए न केवल शैक्षणिक बल्कि व्यावहारिक अनुभव भी प्रदान करेगा, जिससे वे उद्योगों की चुनौतियों का सामना करने के लिए बेहतर तरीके से तैयार होंगे।


समापन
इस प्रकार, CSVTU और CIPET के बीच यह समझौता राज्य में तकनीकी शिक्षा के विकास और उद्योगों के साथ तालमेल बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल छात्रों को लाभ होगा बल्कि छत्तीसगढ़ राज्य के तकनीकी और औद्योगिक विकास को भी एक नई दिशा मिलेगी। यह समझौता छात्रों को उनके कौशल और ज्ञान को उद्योग की मांगों के अनुरूप विकसित करने में मदद करेगा, जिससे वे भविष्य में विभिन्न उद्योगों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेंगे।

व्याख्यान का प्रारम्भ
व्याख्यान का आयोजन यूटीडी के निदेशक डॉ पी के घोष के उद्बोधन से हुई। उन्होंने कहा, “हिन्दी जीवन पद्धति हमारी संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक है। हमें अपने जीवन में इसको अपनाने की आवश्यकता है।”

इसके बाद विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति डॉ एम के वर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा, “हमें अपनी जीवन पद्धति को समझने और इसको आगे बढ़ाने के लिए काम करना चाहिए। यह व्याख्यान हमें इस दिशा में एक कदम आगे बढ़ाने में मदद करेगा।”

श्री राजेंद्र प्रसाद जी ने अपने व्याख्यान में कहा, “हिन्दी जीवन पद्धति एक समृद्ध और विविध संस्कृति है, जो हमारे देश की पहचान है। इस जीवन पद्धति में हमें अपने पूर्वजों की परंपराओं और मूल्यों को अपनाने की आवश्यकता है। हमें अपने जीवन में सत्य, अहिंसा, और करुणा जैसे मूल्यों को अपनाना चाहिए। हमें अपने परिवार और समाज के प्रति जिम्मेदार बनना चाहिए और उनकी सेवा करनी चाहिए।”

इस अवसर पर श्री राजेंद्र प्रसाद जी ने सभी श्रोताओं को कहा कि हमें अपनी जीवन पद्धति को समझने और इसको आगे बढ़ाने के लिए हिंदी जीवन पद्धति पर काम करना चाहिए। आइए हम मिलकर अपनी संस्कृति और परंपराओं को आगे बढ़ाएं और अपने देश को गर्व से आगे बढ़ाएं।”

श्री राजेंद्र प्रसाद जी वरिष्ठ अधिकारी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने हिंदू जीवन पद्धति की विशेषताएं पर अपना व्याख्यान दिया। जिसमे उन्होंने विश्वविद्यालय के छात्रों को वसुधैव कुटुंबकम् , सकारात्मक सोच की महत्ता पर ज्ञान वर्धन किया। जिसका लाभ विश्वविद्यालय के छात्रों को मिला। कहा, “हिन्दू धर्म संस्कृति हमारे देश की पहचान है और हमें इसे गर्व से अपनाना चाहिए।”

श्री राजेंद्र कुमार जी ने आगे कहा, “हिन्दू धर्म संस्कृति में हमें अपने पूर्वजों की परंपराओं और मूल्यों को अपनाने की आवश्यकता है। हमें अपने परिवार और समाज के प्रति जिम्मेदार बनना चाहिए और उनकी सेवा करनी चाहिए! व्याख्यान में यूटीडी के छात्रों और प्राध्यापकों ने भाग लिया और हिन्दी जीवन पद्धति की विशेषताओं पर चर्चा की।


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