बिलासपुर 31 अगस्त 2024 :- पुलिस इंस्पेक्टर की विधवा (बेवा) के विरूद्ध जारी वसूली आदेश निरस्त हाउस नं. 38/480, हेमूनगर, तोरवा निवासी मालिकराम रात्रे, जिला- जांजगीर-चांपा में पुलिस विभाग में निरीक्षक (इंस्पेक्टर) के पद पर पदस्थ थे।
सेवाकाल के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। मृत्यु के पश्चात् पुलिस अधीक्षक (एस.पी.) जांजगीर-चांपा द्वारा इंस्पेक्टर मालिकराम रात्रे के सेवाकाल के दौरान 27.12.1986 से 30.11.2018 तक गलत वेतन, नियतन के कारण इंस्पेक्टर को हुये अधिक भुगतान का संशोधन करते हुए उनकी विधवा (बेवा) धनेश्वरी रात्रे के सेवानिवृत्ति देयक से लगभग दो लाख रूपये की वसूली का आदेश जारी कर दिया गया।
उक्त वसूली आदेश के विरूद्ध धनेश्वरी रात्रे द्वारा हाईकोर्ट अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं देवांशी चक्रवर्ती के माध्यम से हाईकोर्ट बिलासपुर के समक्ष रिट याचिका दायर कर वसूली आदेश को चुनौती दी गई। अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं देवांशी चक्रवर्ती द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्टेट ऑफ पंजाब विरूद्ध रफीक मसीह (2015), थॉमस डेनियल विरूद्ध स्टेट ऑफ केरला (2022) इसके साथ ही हाईकोर्ट बिलासपुर की डिवीजन बेंच द्वारा
छत्तीसगढ़ शासन एवं अन्य विरूद्ध लाभाराम ध्रुव के वाद में पारित निर्णय का हवाला देते हुए कहा गया कि किसी भी तृतीय श्रेणी कर्मचारी, सेवा निवृत्त कर्मचारी या तृतीय श्रेणी एवं सेवानिवृत्त कर्मचारी के परिवार के किसी सदस्य विधवा (बेवा) से पूर्व में शासकीय कर्मचारी के सेवाकाल के दौरान अधिक वेतन भुगतान का हवाला देकर उक्त कर्मचारी के सेवानिवृत्त (रिटायरमेन्ट) के पश्चात् उस सेवानिवृत्त कर्मचारी से या उक्त कर्मचारी की मृत्यु के पश्चात् उनकी विधवा (बेवा) या परिवार के अन्य किसी सदस्य के विरूद्ध वसूली आदेश जारी कर किसी भी प्रकार की वसूली नहीं की जा सकती है।
उच्च न्यायालय, बिलासपुर द्वारा उक्त रिट याचिका की सुनवाई के पश्चात् अधिवक्तागण के तर्कों से सहमत होते हुए पूर्व में माननीय सुप्रीम कोर्ट एवं माननीय हाईकोर्ट बिलासपुर की डिवीजन बेंच द्वारा पारित न्याय निर्णय के आधार पर पुलिस इंस्पेक्टर की विधवा (बेवा) धनेश्वरी रात्रे के विरूद्ध जारी वसूली आदेश को निरस्त कर पुलिस अधीक्षक (एस.पी.) जांजगीर-चांपा को यह निर्देशित किया गया कि वे वसूल की गई राशि तत्काल याचिकाकर्ता को वापस करे।