द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) भिलाई शाखा द्वारा   अभियंता दिवस पर तकनीकी व्याख्यान का आयोजन…

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भिलाई नगर 18 सितंबर 2024:- द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) भिलाई शाखा द्वारा 15 सितंबर 2024 को भारत रत्न सर मोक्षगुण्डम विश्वेश्वराया  के जन्म दिवस के अवसर पर इंजीनियर भवन, सिविक सेंटर, भिलाई में एक व्याख्यान कार्यक्रम किया गया था  इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कार्यपालक निदेशक (माइंस) भिलाई इस्पात संयंत्र  बिपिन कुमार गिरी थे कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में मुख्य महाप्रबंधक, बार एंड रॉड मिल , भिलाई इस्पात संयंत्र,  योगेश शास्त्री उपस्थित थे।

इस कार्यक्रम में अतिथि वक्ता के रूप में, आई आई टी भिलाई के एसोसिएट प्रोफेसर एवम विभागाध्यक्ष कंप्यूटर साइंस डा सौरद्वितीय पॉल थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) की भिलाई शाखा के अध्यक्ष  पुनीत चौबे ने की।


कार्यक्रम के आरम्भ में स्वागत भाषण देते हुए द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) की भिलाई शाखा के मानसेवी सचिव  बसंत साहू ने अभियंता दिवस के आयोजन के महत्त्व और इस वर्ष के लिए निर्धारित विषय ” ड्राइविंग सस्टेनेबिलिटी विथ इंजिनियरिंग सॉल्यूशंस एंब्रेसिंग लेटेस्ट ए आई ड्रिवन टेक्नोलॉजीज “ के बारे में बताया । श्री साहू ने कहा कि इस विषय का उद्देश्य, नवीनतम आर्टिफिशियल तकनीक के माध्यम से पर्यावरण की चुनौतियों एवम विकास के बारे में ध्यान आकृष्ट करना है। उन्होंने द इंस्टीट्यूशन आफ इंजिनियर्स इंडिया के उद्देश्य और संगठन के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी।

मुख्य अतिथि  बिपिन कुमार गिरी, कार्यपालक निदेशक, माइंस, सेल भिलाई इस्पात संयंत्र ने अपने उद्बोधन में कहा कि पूरा विश्व बदलाव की ओर अग्रसर है और वर्तमान व्यवस्था इस परिवर्तन को आत्मसात करने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत में 1991 के व्यापार के उदारीकरण के बाद हम विश्व समुदाय से एकीकृत हुए और वैश्विक विविधताओं से हमारा सामना हुआ जिनसे हमने सीखा और उसे हम अपने देश की विविधताओं की वजह से बेहतर ढंग से संभाल पाए। श्री गिरी ने कहा की वर्तमान में विश्व समुदाय की परेशानियां लगभग एक सी हैं।

श्री बिपिन गिरी ने कहा की मानव जीवन के सतत विकास हेतु भूख एवम गरीबी रहित, बेहतर स्वास्थ, गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा, लैंगिक समानता, स्वच्छ जल,स्व सक्षम एवम टिकाऊ शहर के लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करना होगा। उन्होंने उपस्थित श्रोताओं को आगाह किया कि हमारा ध्यान सिर्फ भूमि पर स्थित जीवन को बचाने तक केंद्रित न होकर पृथ्वी में मौजूद तीन चौथाई जलीय जीवन के अस्तित्व को बचाए रखने पर भी होना चाहिए क्योंकि यह इकोसिस्टम का महत्वपूर्ण कारक है। श्री गिरी ने कहा की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मानव जीवन के उत्थान में अहम भूमिका है पर उसके उपयोग में नैतिकता, न्याय एवम पारदर्शिता का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है।

श्री गिरी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवम रोबोटिक्स के माध्यम से कृषि क्षेत्र, मौसम विज्ञान, उद्योग को होने वाले लाभ पर चर्चा की। उन्होंने सेल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से होने वाले लाभ एवम कार्यप्रणाली में गुणात्मक परिवर्तन पर भी अपने विचार रखे । श्री गिरी ने उपस्थित अभियंताओं से आह्वान किया की नई तकनीक का इस्तेमाल मानव जीवन की गुणवत्ता और बेहतरी के लिए करें। श्री गिरी ने बताया कि ए आई आधारित ऐप द्वारा पर्यावरण, स्वच्छ जल की मॉनिटरिंग की जा रही है। उन्होंने भूमिगत उत्खनन के क्षेत्र में मीथेन गैस की जांच हेतु ए आई के बारे में बतलाया।

विशिष्ट अतिथि  योगेश शास्त्री, मुख्य महाप्रबंधक, बी आर एम, भिलाई इस्पात संयंत्र, ने अभियंता को परिभाषित करते हुए कहा कि हमारा कार्य योजना बनाना, योजना के अनुरूप डिजाइन करना और उसे मूर्तरूप देना है। श्री शास्त्री ने महान अभियंता डा विश्वेश्वराया जी को स्मरण करते हुए कहा कि वह अपने कार्यों से एक बेहतरीन इंजीनियर के साथ साथ सामाजिक परिवर्तन के अग्रदूत थे। उन्होंने कहा कि आज के परिपेक्ष्य में हमें यह मानना ही पड़ेगा की एक इंजीनियर की भूमिका के बिना दैनिक जीवन का निर्वाह कठिन है। चाहे पानी का वितरण हो, या बिजली की समस्या हो, या मोबाइल में दिक्कत हो, या सड़क हो, दैनिक जीवन से जुड़ी हर व्यवस्था का संचालन इंजीनियर्स द्वारा किया जा रहा है।

श्री शास्त्री ने बताया श्री विश्वकर्मा जी प्रथम अभियंता थे और देश में निर्मित सभी प्राचीन मंदिर आज भी वास्तुकला और निर्माण के बेहतरीन उदाहरण हैं। उन्होंने कहा पहले अभियंता नदी पर पुल बनाकर लोगों को जोड़ते थे और आज इंटरनेट, सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को जोड़ रहे हैं। श्री शास्त्री ने कहा कि आज अभियंता वर्ग को यह सोचना है कि हमे जो अपने पूर्वजों से मिला उसे किस रूप में आने वाली पीढ़ी को दे रहें है।

विशिष्ट अतिथि वक्ता डॉ सौरद्युति पॉल, सह प्राध्यापक आई आई टी भिलाई ने अभियंता दिवस की थीम ” ड्राइविंग सस्टेनेबिलिटी विथ इंजिनियरिंग सॉल्यूशंस एंब्रेसिंग लेटेस्ट ए आई ड्रिवन टेक्नोलॉजीज ” को अपने प्रस्तुतिकरण के द्वारा विस्तारपूर्वक समझाया। डॉ. पॉल ने स्वास्थ्य सेवा और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्रों में एआई प्रौद्योगिकियों के लाभों के बारे में बात की, जहाँ इन प्रौद्योगिकियों के उपयोग से बीमारियों का शीघ्र पता लगाया जा सकता है और उद्योग मे विनिर्माण दोषों का शीघ्र पता लगाने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने आगाह किया कि यदि एआई प्रौद्योगिकियों का पर्याप्त सावधानी से उपयोग नहीं किया जाता है, तो इसके विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं। डीपफेक तस्वीरों का निर्माण इसका एक ज्वलंत उदाहरण है। डा पॉल ने कहा कि ए आई को जिस माहौल में विकसित/ प्रशिक्षित किया जाएगा साथ ही, उन्हें बिना किसी संज्ञानात्मक पूर्वाग्रह के चुना जाना चाहिए ताकि एल्गोरिदम के आउटपुट भी पूर्वाग्रहों से मुक्त हों।

डॉ. पॉल ने हानिकारक एआई उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने वाले नियमों की आवश्यकता पर जोर दिया। डा पॉल ने ऊर्जा कुशल चिपसेट बनाने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि वर्तमान में चैटजीपीटी जैसे एआई उत्पाद चिपसेट पर चल रहे हैं जो बहुत अधिक मात्रा में ऊर्जा की खपत करते हैं, जिससे पर्यावरण का क्षरण होता है। उन्होंने कहा की ए आई और डाटा एनालिटिक्स के इस्तेमाल से ऊर्जा की खपत में भी वृद्धि होगी जिस पर विचार की जरूरत है।

कार्यक्रम के अध्यक्ष द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) की भिलाई शाखा के चेयरमैन  पुनीत चौबे ने बताया कि इंस्टीट्यूशन आफ इंजिनियर्स की भिलाई शाखा की स्थापना सन 1961 में हुई थी और तबसे संस्था द्वारा इंजीनियरिंग ज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देती सराही है। उन्होंने सेल एवम भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा संस्था की भिलाई शाखा को दिए गए निरंतर सहयोग की सराहना की और आभार प्रकट किया। श्री चौबे ने उपस्थित इंजीनियर्स से कहा कि आज तक आधुनिक विश्व के निर्माण में सभी ने अपना योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि आज सबसे बड़ी चुनौती पर्यावरण असंतुलन से मानव जीवन के अस्तित्व पर है और अभियंताओं को इसकी रक्षा और पृथ्वी के संरक्षण में अपना योगदान देना होगा।


कार्यक्रम में मेसर्स यूनिकॉन इंजिनियर्स कोयंबटूर के प्रोजेक्ट हेड श्री सैमुअल ने प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों के बारे में प्रस्तुतिकरण के माध्यम से विस्तृत रूप से समझाया।
इस अवसर पर मुख्य महाप्रबंधक माइंस, बी एस पी  श्रीकांत, भिलाई इस्पात संयंत्र के पूर्व मुख्य महाप्रबंधक श्री छाबड़ा,  आई एस लंबा,  एस सी आनंद, संस्था के पूर्व अध्यक्ष  पी के तिवारी, श्री बी पी यादव,  कैलाश मल्होत्रा,  शिखर तिवारी, उद्योगपति श्री चितलांगिया,  अरविंद रस्तोगी, प्रिज्म कॉलेज के चेयरमैन  रूपेश गुप्ता, डायरेक्टर श्रीमती ख्याति साहू, आई ई आई भिलाई के पूर्व सचिव डा नागेंद्र त्रिपाठी,  अजय साहू, कार्यकारिणी सदस्य, इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स भिलाई शाखा के सदस्यगण, भिलाई इस्पात संयंत्र, सेट सेल, मेकॉन , एन एस पी सी एल भिलाई तथा आई आई टी भिलाई, बी आई टी दुर्ग, पॉलीटेक्निक दुर्ग, रूंगटा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, एवम शैक्षणिक संस्थानों के संकाय सदस्य के प्रतिनिधि एवम छात्र उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन सिद्धी चौबे ने किया तथा आभार प्रदर्शन प्रोफेसर निशांत यादव, बी आई टी दुर्ग ने किया।


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