जबरदस्त चर्चा …..डीपीएस  मामले में FIR ने निकाली कांग्रेस की हवा…..पूर्व सीएम की अब पुलिस अधीक्षक को हटाने की मांग समझ से परे…….प्रोफेसर पर जानलेवा हमला मामले में खामोशी बन रहा संदेहास्पद…..

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भिलाई नगर 05 सितंबर 2024 :-  डीपीएस  में एक मासूम छात्रा के कथित अनाचार मामले में एफआईआर ने कांग्रेस की हवा निकाल कर रख दी है। ठंडे हो चुके इस मामले को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने फिर से गर्म कर दिया था। लेकिन पुलिस ने भी नहले पर दहला मारते हुए मामले में एफआईआर दर्ज कर पूर्व सीएम और कांग्रेस को चारों खाने चित कर दिया है। चर्चा है कि इस मामले में प्रदेश के गृहमंत्री विजय शर्मा ने संभावित पीड़ित परिवार से बातचीत की थी।

वहीं एफआईआर के बाद मामले में राजनीतिक रोटी सेंकने वालों को बयान दर्ज करने पुलिस का बुलावा मिलने के बाद वे दाएं बाएं हो रहे हैं। इसमें कुछ पुलिस वाले भी हैं जो मामले में अपने अधिकारियों की कार्यशैली पर नकारात्मक टीका टिप्पणी कर रहे थे। अब  बघेल का पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र शुक्ला को हटाने की मांग करना समझ से परे लग रहा है। वहीं उनके गृहनगर भिलाई-3 से जुड़े कॉलेज प्रोफेसर पर जानलेवा हमला मामले में उनकी बनी हुई खामोशी संदेहास्पद पहलूओं को जन्म दे रही है।


किसी की बच्ची को लेकर शहर में जो प्रोपेगेंडा का माहौल बनाया गया उस माहौल पर कांग्रेस लीड लेती उसके पहले ही पुलिस ने अपराध दर्ज कर कांग्रेस की हवा निकाल दी। इस मामले में एफआईआर की मांग करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अब पुलिस अधीक्षक के ट्रांसफर की बात कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि ऐसा कौन सा डर है जो पूर्व मुख्यमंत्री को सता रहा है। अब जब पूर्व सीएम की मांग पर एफआईआर दर्ज किया जा चुका है तो फिर पुलिस अधीक्षक को हटाने की मांग कहां तक न्याय संगत है। लेकिन पुलिस अधीक्षक को हटाने की मांग जिस तरीके से हो रही है उससे यह लगता है कि उनके रहने से कहीं पूर्व सीएम भूपेश बघेल को अपने साथ कोई गड़बड़ होने का अंदेशा तो नहीं है। कहीं ऐसा तो नहीं कि कुछ और भी बात है जो भूपेश बघेल और पुलिस अधीक्षक के बीच होने के साथ ही आम लोगों के पहुंच से बहुत दूर है।

हर मुद्दे पर कांग्रेस की कमेटी बनाकर जांच कराने वाले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दिल्ली पब्लिक स्कूल के मुद्दे पर इतने दिनों तक क्यों खामोश थे। इस मुद्दे पर भूपेश बघेल के अलावा स्थानीय महापौर नीरज पाल सहित विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत और प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष दीपक बैज क्यों खामोश हैं। आखिर ऐसी कौन सी बात है या ऐसा कौन सा अपराध हो गया कि तथाकथित वारदात के 2 महीने के बाद अचानक नींद से जागे अंदाज में भूपेश बघेल अपराध दर्ज करने की मांग उठाने लगे। उनके डीएसपी  मामले में अप्रत्याशित रूप से एफआईआर की मांग करने से इस संभावना को बल मिला है कि ऐसा कुछ तो हुआ है जिसको लेकर भूपेश बघेल दुर्ग के पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र शुक्ला से नाराज चल रहे हैं। या फिर उन्हें किसी बात का डर सता रहा है कि पुलिस अधीक्षक रहेंगे तो कुछ उल्टा सीधा ना हो जाए।

राजधानी रायपुर में पत्रकार वार्ता लेकर पूरे प्रदेश के अपराधों की बखान करने वाले भूपेश बघेल अपने ही निवास क्षेत्र में शासकीय कॉलेज के प्रोफेसर पर हुए जानलेवा हमले की बात प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्यों नहीं उठाई। क्यों नहीं अपराधियों की गिरफ्तारी की मांग की। इस अपराध को लेकर भूपेश बघेल की खामोशी किस बात को इंगित करती है, फिलहाल यह कहना अभी संभव नहीं है। पूर्व सीएम भूपेश बघेल के लिए यह चिंतन का विषय हो सकता है कि दिल्ली पब्लिक स्कूल के मामले को लेकर प्रदेश में मुद्दा उठाकर कभी उन्होंने सोचा कि उस स्कूल की बच्ची और उसके परिजनों पर क्या गुजरेगी। क्या वाकई कोई घटना हुई है। यदि हुई है तो सच सामने क्यों नहीं आ रहा है। अचानक पालक संघ डीपीएस स्कूल के खिलाफ क्यों राजनीति करने लगा। ऐसे कौन लोग हैं जो डीपीएस स्कूल के इस मामले को तूल देकर अपनी राजनीति रोटी सेंकना चाह रहे हैं।  डीपीएस स्कूल के मुद्दे को लेकर पुलिस ने महिला थाना में अपराध दर्ज करवा कर कांग्रेस  की श्रेय लेने के इरादे की हवा निकल कर रख दी है।

वैसे चर्चा है कि कांग्रेस ने सोचा भी नहीं था कि पुलिस इस मामले में अपराध दर्ज कर लेगी। लेकिन पुलिस ने नहले पे दहला मार दिया है। प्रदेश के सभी अन्य मुद्दों को छोड़कर भूपेश प्रदेश की राजनीति के बजाय दुर्ग की राजनीति क्यों करने लगे हैं। क्या किसी बात का उन्हें डर सता रहा है कि इस पुलिस अधीक्षक के रहते उनकी दाल नहीं गलेगी। इसी को लेकर वह पुलिस अधीक्षक को आपत्तिजनक शब्द कहना, फिर कार्य शैली को लेकर उंगली उठाना और अब जब अपराध दर्ज हो गया है तो फिर पुलिस अधीक्षक के ट्रांसफर का एक नया मुद्दा उठाने के पीछे उनकी क्या चाह है। क्या भूपेश ने पता करने की कोशिश की इस मामले की वास्तविकता क्या है। अपने जिले के डीपीएस स्कूल में जाकर भूपेश ने क्या प्रिंसिपल से इस मुद्दे पर चर्चा करना उचित समझा।

मानवता के नाते ही कम से कम उन्हें डीपीएस रिसाली जाकर इस मुद्दे पर प्रिंसिपल से बात करनी थी। दुर्ग जिले के किसी भी जनप्रतिनिधि ने भूपेश को छोड़कर यह मुद्दा क्यों नहीं उठाया। क्या मामले में सच्चाई नहीं है या मामले की क्या सच्चाई है सभी जानते हैं की पास्को एक्ट के तहत मामला दर्ज हुआ है। मामले की जांच अन्य जिले की महिला पुलिस अधिकारी करेंगे। उसके बावजूद भूपेश का एसपी पर विश्वास क्यों नहीं है। उनके कार्यकाल में वर्तमान दुर्ग जिले के पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र शुक्ला महासमुंद और राजनांदगांव में पुलिस अधीक्षक का दायित्व संभाल चुके हैं। क्या उस समय पुलिस अधीक्षक की कार्यशैली अच्छी थी और आज खराब हो गई है जिसको लेकर भूपेश प्रदेश की राजनीति करने लगे हैं।

दुर्ग जिला में अचानक ऐसा क्या हो गया कि भूपेश बघेल ने पुलिस अधीक्षक के पीछे मोर्चा खोल दिया है। विधानसभा चुनाव के बाद पुलिस अधीक्षक की दुर्ग जिले में पदस्थापना हुई। किंतु 8 महीने में भूपेश बघेल ने पुलिस अधीक्षक के विषय में अच्छा बुरा कुछ भी नहीं कहा। अचानक ऐसी कौन सी स्थिति निर्मित हो गई की पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पुलिस अधीक्षक अच्छे नहीं लगने लगे और प्रदेश और  देश की राजनीतिक छोड़कर भूपेश बघेल ने दुर्ग जिले की राजनीति पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित किया हुआ है। शहर में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि आज तक किसी भी पुलिस अधीक्षक पर किसी भी प्रकार की टिप्पणी नहीं करने वाले भूपेश बघेल ऐसी कौन सी बात है जो उन्हें अंदर ही अंदर कचोट रही है कि इस पुलिस अधीक्षक के रहने से उसको नुकसान हो सकता है‌ ।

कुछ तो बात है कि 8 महीने तक पुलिस अधीक्षक जितेंद्र शुक्ला के संबंध में किसी भी प्रकार की टीका टिप्पणी न करने वाले भूपेश बघेल अचानक पुलिस अधीक्षक के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पहले उन्होंने डीपीएस स्कूल का मामला उछाला फिर बजरंग दल का मुद्दा उठाया और जब दोनों ही मामले में अपराध दर्ज हो गया तब शायद उन्हें लगा कि मेरी बात यहां भी नहीं टिक रही तो उन्होंने अब पुलिस अधीक्षक के ट्रांसफर का मुद्दा उछाल दिया है। 5 साल तक पुलिस की हर जांच पर उनको विश्वास था, लेकिन सरकार चेंज होते ही अब उनका पुलिस की जांच पर से विश्वास उठ गया। डीपीएस का गंभीर मुद्दा जुलाई में उछलने के बाद भूपेश बघेल ने कांग्रेस की जांच कमेटी क्यों नहीं बनाई, यह भी अहम सवाल है।

जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष ने भी इस मुद्दे पर विपक्ष में होते हुए भी आवाज क्यों नहीं उठाया। भिलाई नगर विधायक देवेंद्र यादव भी उस समय इस मुद्दे पर खामोश क्यों रहे। अब अचानक भिलाई-3 में प्रोफेसर पर हमले के बाद दुर्ग जिले की कानून व्यवस्था और विशेषकर पुलिस अधीक्षक से आखिर ऐसी शिकवा शिकायत का कारण क्या है?


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