भिलाई नगर 17 मई 2023 : ओए बीएसपी ने इस्पात क्षेत्र के अधिकारियों के लंबित मुद्दों पर केन्द्रीय इस्पात राज्यमंत्री से की चर्चा माइंस अधिकारियों हेतु विशेष भत्ता ’डासा’ को पुनः बहाल करने की रखी मांग बीएसपी आफिसर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने सेफी चेयरमेन तथा ओए अध्यक्ष नरेन्द्र कुमार बंछोर के नेतृत्व में केन्द्रीय इस्पात राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते से इस्पात क्षेत्र के अधिकारियों के लंबित मुद्दों पर भिलाई निवास में चर्चा की।
जिसमें मुख्य तौर पर सेल के माइंस एवं एन.एम.डी.सी. के अधिकारियों को थर्ड पे-रिविजन में “डासा“ (डिफिकल्ट एरिया सर्विस एलाउंस) का भुगतान चालू करने एवं डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु को बढ़ाने पर चर्चा की तथा वित्तीय वर्ष 2018-19 का इंक्रीमेंटल पीआरपी प्रदान करने व सेल में यूनिफार्म एचआरए पॉलिसी लागू करने हेतु ज्ञापन सौंपा। विदित हो कि 11 जून 2014 को सेल की खदानों को दुर्गम क्षेत्र घोषित कर सेल माइंस में कार्यरत कर्मचारियों को मूल वेतन का 10 प्रतिशत विशेष भत्ते के रूप में दिया जा रहा था। जिसे वर्तमान में सेल में बंद कर दिया गया है। विदित हो कि तृतीय वेतन पुनरीक्षण समिति के प्रतिवेदन में बिन्दु संख्या 3.16.13/अप/ब में दुर्गम एवं दूर-दराज के क्षेत्रों में सेवा के लिए समान प्रावधान जारी रखने की अनुशंसा की गई है।
इस्पात मंत्रालय द्वारा जारी पिछले आदेशों के संदर्भ में विशेष भत्ता जारी रखा गया है। हाल ही में जारी एक आदेश में एफ.सं. 3(1)/2022-वित्त दिनांक 29 सितंबर 2022 के तहत सेल को दुर्गम क्षेत्र में सेवा के लिए मिलने वाले विशेष भत्ते पर रोक लगाने का निर्देश दिया गया है। इस संदर्भ में सेफी चेयरमेन श्री नरेन्द्र कुमार बंछोर ने केन्द्रीय इस्पात राज्यमंत्री के समक्ष ‘डासा’ को लागू करने के समर्थन में तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा कि सेल और एनएमडीसी की खानें अधिकांशतः दूरस्थ स्थान पर स्थित हैं
और चिकित्सा, शिक्षा और टाउनशिप जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी के साथ नक्सलवाद से प्रभावित हैं। वर्तमान में विशेष भत्ते बहाल नहीं होने के कारण खदानों में कार्यरत अधिकारी हतोत्साहित हैं। जिसका प्रभाव कंपनी के निष्पादन पर पड़ सकता है। अतः कंपनी के प्रदर्शन को बेहतर बनाए रखने के लिए माइंस के अधिकारियों का मनोबल बढ़ाने हेतु ’डासा’ अत्यंत आवश्यक है। अतः इसे पुनः बहाल करने की अपील की।
श्री बंछोर ने श्री कुलस्ते से चर्चा करते हुए मांग की कि स्टील सेक्टर के पीएसयू में कार्यरत डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु में वृद्धि करते हुए इसे 60 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष किया जाए। श्री बंछोर ने इस समस्या पर केन्द्रीय राज्यमंत्री का ध्यान आकर्षित करते हुए बताया कि वर्तमान में इस्पात क्षेत्र के इन अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी देखने को मिल रही है। जिसके चलते इस्पात बिरादरी को बेहतर चिकित्सा सुविधा प्रदान करने हेतु रिफरल सिस्टम पर निर्भर रहना पड़ रहा है। इस्पात उद्योग एक जोखिम भरा उद्योग होने के कारण यहां दुर्घटना की संभावना बनी रहती है। अतः किसी भी दुर्घटना की स्थिति में विशेषज्ञ डॉक्टरों की उपलब्धता अति आवश्यक हो जाती है।
विदित हो कि चिकित्सकीय सेवा में विशेषज्ञ डॉक्टर लगभग 30 वर्ष की आयु में ज्वाइन करते हैं। अतः उनकी सेवाएं कंपनी को मात्र 30 वर्ष तक ही प्राप्त हो पाती है। अतः इन अनुभवी डॉक्टरों की सेवाओं में अगर 5 वर्ष की वृद्धि की जाए तो जहां इस्पात बिरादरी को बेहतर चिकित्सा, दुर्घटना की स्थिति में उत्कृष्ट ईलाज मिलने में सहायता मिलेगी, वहीं रिफरल के खर्चों में भी कमी आएगी। श्री बंछोर ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान में एम्स व अन्य मेडिकल कॉलेज से लेकर राज्य सरकार के चिकित्सा सेवा में संलग्न डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष है। अतः इस्पात पीएसयू द्वारा संचालित चिकित्सालयों में संलग्न डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष करना उचित होगा।
सेफी चेयरमेन द्वारा सेल में पी.आर.पी. की गणना में इंक्रिमेंटल लाभ को डीपीई के दिशानिर्देशों के अनुरूप समायोजित करने की अनुशंसा करने हेतु ज्ञापन सौंपा। विदित हो कि वित्त वर्ष 2017-18 में सेल ने कर पूर्व कुल हानि 759 करोड़ रूपये घोषित किया एवं वर्ष 2018-19 में कर पूर्व कुल लाभ 3338 करोड़ रूपये घोषित किया। जिससे इंक्रिमेंटल लाभ 4097 करोड़ रूपये पर आधारित पीआरपी की गणना करने की मांग जो कि सेल में हुए टर्नअराउंड का लाभ, सभी अधिकारियों को इंक्रिमेंटल पी.आर.पी. देकर प्रोत्साहित किया जा सकता है। सेफी चेयरमेन ने केन्द्रीय इस्पात राज्यमंत्री महोदय से सेल में यूनिफार्म एचआरए पॉलिसी लागू करवाने हेतु आवश्यक दिशानिर्देश देने हेतु ज्ञापन सौंपा।
विदित हो कि वर्ष 2013 में तत्कालीन सेल प्रबंधन द्वारा एक विवादित आदेश द्वारा तत्काल प्रभाव से कार्मिकों को एचआरए हेतु नया आवेदन लेना बंद कर दिया गया था जिसके फलस्वरूप कार्मिकों के एचआरए पात्रता में विसंगति उत्पन्न हो गयी है। 2013 के बाद जिन कार्मिकों ने अपने निजी मकानों में शिफ्ट किया है उन्हें एचआरए नहीं दिया जा रहा है। बीएसपी के मकान 50 वर्षों से अधिक पुराने हो चुके हैं जो रहने योग्य नहीं है। इन परिस्थितियों में वो कार्मिक जिन्होंने अपना मकान बनाकर अपने आवासों में शिफ्ट कर लिया है
वह अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहा हैं। एचआरए के न मिलने से इन कार्मिकों को आवास हेतु लिए गए ऋण को चुकाने में भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। ओए बीएसपी के प्रतिनिधि मंडल में सेफी चेयरमेन नरेन्द्र कुमार बंछोर के नेतृत्व में महासचिव परविन्दर सिंह व सचिव अखिलेश मिश्रा शामिल थे।