पांचवें दिन पूतना वध….बालकृष्ण की गोवर्धन पर्वत और माखन चोरी लीला सुनकर भक्त हुए भाव-विभोर,…गोबर का बनाया गोवर्धन पर्वत, 56 भोग लगाकर लिया कृष्ण का आशीर्वाद,माखन चोरी लीला सुनकर भक्त हुए मंत्रमुग्ध….

भिलाई नगर 13 जनवरी 2025:- सम्प्रति सेवा समिति भिलाई के तत्वावधान में राम भद्र सेवा मंडल सेक्टर 2 मंदिर परिसर में श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह का आयोजन दोपहर 1 बजे से सर्वजन कल्याणार्थ के उद्देश्य से किया जा रहा है। आचार्य पं संदीप तिवारी द्वारा कथा के पांचवे दिन पूतना वध, सकटासुर, तृवावर्त वध, बाल कृष्ण के माखन चोरी लीला, गोवर्धन पर्वत सहित अन्य प्रसंगों का विस्तार पूर्वक व्याख्या किया।

बाल कृष्ण के माखन चोरी लीला की झांकी देखकर उपस्थित श्रद्धालु कृष्ण भक्ति में भाव विभोर हो उठे। सोमवार को कथावाचक आचार्य संदीप तिवारी ने गोवर्धन लीला का विस्तार पूर्वक वर्णन करते हुए बताया कि






गोवर्धन का अर्थ है गोबर का धन। इंद्रदेव अपने बल और पद के कारण लोगों से अपनी पूजा करवाते थे और उनकी बात न मानने पर ब्रजवासियों को इंद्र के प्रकोप का सामना करना पड़ा। देवराज इंद्र के कहने पर पूरे ब्रज में भीषण वर्षा हुई। इंद्र के इस कृत्य को देखकर कृष्ण ने उसके अभिमान को तोड़ने व ब्रजवासियों, पशु-पक्षियों को सुरक्षित करने गोवर्धन पर्वत को अपने बाएं हाथ की कनिष्ठ अंगुली से उठाया और ब्रजवासियों का उद्धार किया। आचार्य ने वासना रुपी राक्षसी पूतना, मन रुपी तृणावर्त व भोग रुपी सकटासुर का वध कर इनके उद्धार की कथा सुनाई। वासना रूपी पूतना के मरने के बाद ही प्रभु प्राप्ति के मार्ग खुलते है।





गोवर्धन पर्वत की पूजा कर लगाया 56 भोग,,,,
भागवत कथा के पांचवे दिन कि कथा में कृष्ण की बाल लीलाओं को झांकी द्वारा चित्रण किया गया। कथावाचक ने बताया कि कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत 7 दोनों तक उठाने और 56 भोग ही क्यों लगाया जाता है, इस प्रसंग को विस्तार से बताया। इस अवसर पर भक्तों द्वारा लाय गए व्यंजनों के साथ ही 56 भोग अर्पित किया।



आज मनाई जाएगी संक्रांति, बताया महत्व,,
सभी समाज द्वारा मनाए जाने वाला पर्व मकर संक्रांति के महत्व को बताते हुए आचार्य संदीप तिवारी ने बताया कि इस दिन से ही सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करता है और इस दिन पृथ्वी पर सूर्य की ऊर्जा अधिक होती है और पितरों को जल और तिल से विधि पूर्वक तर्पण कर दान पुण्य करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है साथ ही पितृ दोष से मुक्ति भी मिलती है। उन्होंने आशीर्वाद शब्द का अर्थ भी बताया।






