श्री शंकराचार्य महाविद्यालय में मनाया गया विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस

भिलाई नगर 16 अगस्त 2025:- श्री शंकराचार्य महाविद्यालय जुनवानी भिलाई के शिक्षा विभाग एवं विवेकानंद यूथ सर्कल जिला दुर्ग के संयुक्त तत्वाधान में अखंड भारत संकल्प विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस का आयोजन 13 अगस्त को किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम की विशेष वक्ता दिलेश्वर उमरे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दुर्ग जिला, विभाग सह कार्यवाहक, मुख्य अतिथि विक्रांत मिश्रा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के छत्तीसगढ़ प्रांत के महाविद्यालयीन छात्र कार्य निर्वहन के सह समन्वयक, सोम थवाईत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में भिलाई के महाविद्यालय छात्र कार्य प्रमुख, पवन निषाद, निकश साहू एवं पारस जंघेल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य महाविद्यालय के डीन अकादमिक डॉ जे दुर्गा प्रसाद राव उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती एवं स्वामी विवेकानंद जी के तैल चित्र पर माल्यार्पण कर एवं दीप प्रज्वलित कर किया गया। तत्पश्चात अतिथियों का स्वागत महाविद्यालय की परंपरा अनुसार स्वागत गान और पौधे एवं श्रीफल से बने गणेश से किया गया। कार्यक्रम को गति प्रदान करते हुए मुख्य वक्ता श्री दिलेश्वर उमरे जी ने अपना व्याख्यान भारत की उत्पत्ति, अस्तित्व और नामकरण से करते हुए स्वामी रामतीर्थ स्वामी विवेकानंद जैसे अनेक महापुरुषों के योगदान को स्मरण कर किया। उन्होंने भारत के सांस्कृतिक विरासत का उल्लेख करते हुए बताया कि हमारी भारतीय संस्कृति का विस्तार ईरान से लेकर जापान तक, मंगोलिया से लेकर श्रीलंका तक और बर्मा से लेकर कंबोडिया तक है। विश्व का सबसे प्राचीन और विशाल विष्णु मंदिर कंबोडिया में स्थित है और आज हम वर्तमान में अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण बहुत ही संघर्ष के बात कर पाए हैं। भारत की संस्कृति गंगा जमुनी संस्कृति कहलाती है अतः आज पुनः इतिहास लेखन की आवश्यकता है।

उन्होंने भारत में हुए अनेक आंदोलन कभी उल्लेख किया जिसमें भारत के अनेक वीर वीरगति को प्राप्त हुए। 14 अगस्त 1947 के मध्य रात्रि में एक नए राष्ट्र का उदय हुआ। पर अनेक शर्तों और कुर्बानियों पर। विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस हम उन्ही शहीदों की स्मृति में मनाते हैं जिन्होंने देश के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिए। इस दिन की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2021 में उन सभी लोगों को याद करने के लिए की थी जिन्होंने राष्ट्र के विभाजन के कारण अपनी जान गवाई और अपने मूल से उजड़ गए। उमरे जी ने भारतीय अखंडता और संस्कृति को बचाए रखने के लिए पांच मूल मंत्र दिए जिसमें भारत की कुटुंब व्यवस्था, स्वदेशी, पर्यावरण, भारतीय समरसता और भारत के नागरिकों का कर्तव्य बोध को अपनाने का आह्वान किया।

मुख्य अतिथि श्री विक्रांत मिश्रा ने दिलेश्वर उमरे जी के कथनों को आगे बढ़ते हुए कहा कि देश की उन्नति और अवनति में युवा शक्ति का महत्वपूर्ण योगदान होता है। युवा में वह शक्ति है जो देश को उन्नति के शिखर तक पहुंचा सकते हैं और देश की प्रगति तथा विश्वास विकास में अपना अमूल्य योगदान दे सकते हैं। उन्होंने सभागार में उपस्थित युवा पीढ़ी से आग्रह किया कि देश की उन्नति में अपना अमूल्य योगदान दे।
महाविद्यालय के डीन अकादमिक डॉ जे दुर्गा प्रसाद राव ने भी देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए समय-समय पर इस प्रकार की कार्यक्रमों का आयोजन अर्थ प्रोत्साहन पर बल दिया। इस अवसर पर महाविद्यालय के डीएलएड के छात्रों द्वारा मधुर गीत की प्रस्तुति दी गई। तत्पश्चात अतिथियों का सम्मान स्मृति चिन्ह सीड बॉल और छात्रों द्वारा गोबर से बनाएं मोबाइल स्टैंड भेंट कर किया गया। आभार प्रदर्शन श्री सोम थवाईत ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय की समस्त प्राध्यापक गण एवं छात्र-छात्राएं बडी संख्या में उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ सुषमा दुबे ने किया।