दुर्ग 6 जून 2024 :- स्वास्थ्य विभाग द्वारा नर्सिंग होम एक्ट के तहत कार्यवाही की आड़ में की जा रही वसूली के खिलाफ पीड़ित अस्पताल के संचालक एक-एक करके सामने आने लगे है और उन्होंने नोडल अधिकारी डॉ अनिल शुक्ला के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।उतई रोड जेल के समीप स्थित वी वाय अस्पताल के संचालक डॉ. विश्वनाथ यादव ने मोटी राशि की डिमान्ड की पूर्ति नही करने पर अन्यायपूर्ण व मनमानी पूर्वक तरीके से की गई कार्यवाही का खुलासा प्रेस कान्फ्रेस में किया है और जिलाधीश से इस मामले में व्यक्तिगत रुचि लेकर पहल करने की मांग की है। इस मामले का रोचक पहलू यह है कि सीएमओ व नोडल अधिकारी ने कलेक्टर को गुमराह कर इस अस्पताल के एक ऐसे लाइसेंस को निरस्त करवाया है
जो कार्यवाही की अर्वाध से पहले ही रदद् हो चुका था। अस्पताल के डायरेक्टर यादव ने पूरे घटनाक्रम की जानकारी प्रमाणिक दस्तावेज के साथ उपलब्ध कराते हुए बताया कि 29 जून 2023 को दोपहर तीन बजे श्रीमती दिलेश्वरी साहू पति महेन्द्र साहू निवासी धमधा को मल्टीआर्गन फेलर (सेप्टीसिमिया) के इलाज हेतू भर्ती कराया गया था।
जिसके इलाज के पूर्व मेरे द्वारा उसके पति को बताया गया कि मरीज की हालत नाजुक है तथा बचने की संभावना नहीं है। क्योंकि उनके पेट में सात महीने का गर्भ दस दिन पहले ही मृत हो गया था। मरीज के पति द्वारा हाई रिस्क फार्म भरकर इलाज हेतु सहमति दी गई जिसके पश्चात मेरे व डॉ. प्रभा द्वारा इलाज शुरु किया गया। हालत बिगड़ने पर रात्रि 12 बजे के बाद मरीज को वेन्टीलेटर पर डालना पड़ा। महिला के पति को भी इसकी जानकारी दी गई। लेकिन इलाज के दौरान सुबह 4 बजकर 10 मिनट पर महिला की मृत्यु हो गई। इसकी नियमानुसार जानकारी नगर निगम को दी गई।
इस घटना के छह माह बाद 6 दिसंबर 2023 को सी.एम. एच. ओ. दुर्ग के द्वारा नोटिस दी गई। जिसमें मृतक दिलेश्वरी साह पति महेन्द्र साहू निवासी धमधा के संदर्भ में पूरी जानकारी एवं बेडहेड टिकट इत्यादि की मांग की गई। डॉ. यादव ने बताया कि यह नोटिस हमें डाक के द्वारा आठ दिसंबर 2023 को प्राप्त हुआ। इसके उत्तर में हमने 19 पेज का बेडहेड टिकट जांच के पेपर उत्यादि सहित फार्म-4 व फार्म 6 भरकर 11 दिसंबर 2013 को सी.एम. एच. ओ. कार्यालय में जमा कर दिया। इसके साथ ही कवरिंग लेटर और समरी पेपर भी जमा किया गया। जिसकी पावती हमारे व्दारा ली गई।
डॉ. यादव ने बताया कि गर्भवती महिला की मृत्यु की जानकारी पृथक फार्म में भरकर देना है इसकी जानकारी मुझे नही थी। मेरे अस्पताल की यह पहली मानवीय त्रुटि थी। इसके बाद 20 दिसंबर 2023 को सी.एम.एच. ओ. कार्यालय से हमे एक और पत्र प्राप्त हुआ। जिसमें उल्लेख किया गया था 6 दिसंबर की नोटिस का जवाब नहीं दिया गया है। इसके बाद हमने सारे जवाबी दस्तावेज 2 जनवरी 2024 को पुनः जमा कराए और उसकी पावती ली। इसके बाद सी.एम. एच.ओ. कार्यालय से 5 जनवरी को विमल वर्मा ने मुझे फ ोन कर कार्यालय में बुलाया औरचर्चा उपरांत सी.एम.एच.ओ. डॉ.मेश्राम द्वारा मुझे एक माफीनामा लिखने को कहा गया। जिसमें यह दर्शाया गया कि भविष्य में किमी गर्भवती महिला की मृत्यु होती है तो इसकी जानकारी सी.एम. एच. ओ. कार्यालय में नियमानुसार देनी होगी मैने माफीनामा लिखा और उसकी पावती भी ले ली। डॉ. यादव ने बताया कि उसके बाद 18 फरवरी 2024 को सीएमएचओ कार्यालय से फोन आया और 22 फरवरी को मातृत्व मृत्यु के सबंध में कार्यालय सभागार में दोपहर 3 बजे मीटिंग में उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया। जब मैं मीटिंग में पहुंचा तब मेरे प्रकरण के अलावा सात अन्य इसी तरह के प्रकरण की सुनवाई हो रही थी।
मेरे अस्पताल के मरीज के संदर्भ में यह पाया गया कि धमधा पी.एच.सी. की अत्याधिक लापरवाही के कारण ही महिला मरीज की हालत नाजुक और गंभीर हुई थी।इस दौरान डॉ मेश्राम ने कहा कि मरीज को किसी भी स्थिति में बचाया नहीं जा सकता था। इसके बाद 22 फरवरी को कलेक्टर दुर्ग व्दारा मेरे वी वाय अस्पताल का लाइसेंस मातृत्तव मृत्यु एवं पेनाल्टी जमा नही करने के कारण रदद कर दिया गया। उसकी जानकारी 23 फरवरी 2024 को रायपुर से प्रकाशित समाचार पत्र में छपी खबर से मिली। मैने तत्काल सी.एम.एच. ओ. मेश्राम से संपर्क किया और कहा कि आपके आदेशानुसार माफीनामा जमा कर लेने के बाद कार्यवाही का क्यों की गयी है इसका कृपया कारण बताए। उन्होंने मुझे कलेक्टर से संपर्क करने के लिए कहा। मैंने 23 फरवरी को 11 बजे कलेक्टर में मुलाकात की। उन्होंने मुझे 20 हजार पेनाल्टी जमा नहीं करने की बात कही। मैने कहा कि मुझे पेनाल्टी जमा करने का कोई पत्र नहीं मिला है। मेरे अस्पताल को एक माह तक बंद रखने का आदेश दिया गया। 23 फरवरी को मैंने पेनाल्टी जमा कराई और अस्पताल के लाइसेंस को बहाल करने का अनुरोध किया लेकिन अभी तक कोई पहल नहीं की गई है।
श्री यादव का कहना है कि मुझे पेनाल्टी जमा करने का कोई भी पत्र पोस्टल से नहीं भेजा गया है। आर. टी. आई. में भी इसकी जानकारी मुझे नहीं दी गई है। उन्होंने बताया कि इसके बाद 20 मार्च 2024 को संचालनालय स्वास्थ्य सेवाए में मैंने कलेक्टर के आदेश के विरुद्ध अपील की। 22 अप्रैल 2024 को मुझे अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया गया मैं वहां उपस्थित हुआ। लेकिन दूसरा पक्ष दोपहर दो बजे तक नहीं आया। मुझे कहा गया कि आपको अपना पक्ष रखने पुनः सूचित किया जाएगा। 30 अप्रैल 2024 को रायपुर से प्रकाशित समाचार पत्र में खबर छपी। कि मेरी अपील खारिज कर दी गई है। जबकि मेरा पक्ष सुना ही नही गया था। श्री यादव ने इस पूरे घटनाक्रम को वसूली के षड्यंत्र का हिस्सा बताते हुए उच्चस्तरीय जांच की मांग की है और न्याय का आग्रह किया है। श्री यादव का कहना है कि अस्पताल के बंद होने से स्टाफ की जीविका प्रभावित होने के साथ लोगो को उपचार का लाभ नही मिल पा रहा है।
नोडल अधिकारी डॉ अनिल शुक्ला पर लगाए गंभीर आरोप
डॉ यादव ने कहा कि प्रकरण में कार्यवाही की प्रक्रिया के बीच नोडल अधिकारी अनिल शुक्ला द्वारा मोटी राशि की डिमान्ड की गई थी। उन्होंने कहा कि वर्तमान में स्वास्थ्य विभाग में नर्सिंग होम एक्ट के नाम पर अस्पताल के संचालको को कार्यवाही के नाम पर परेशान किया जा रहा है। इससे पहले जब गंभीर सिंह ठाकुर सी.एम.ओ. थे और नोडल अधिकारी डा. खंडेलवाल थे। तब वसूली का कोई भी घटनाक्रम घटित नहीं होता था। नोडल अधिकारी को डायरेक्ट नोटिस जारी करने का अधिकार नहीं है। यह अधिकार कलेक्टर व सी.एम.ओं को हैं लेकिन नोडल अधिकारी अनिल शुक्ला डायरेक्ट अस्पतालों को नोटिस जारी कर रहे हैं। श्री यादव ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग इस मामले में कलेक्टर को भी गुमगह कर रहा है। उन्होंने बताया कि उनके अस्पताल के जिस लाइसेंस को निरस्त किया गया है वह 2021 में रद्द हो चुका है। यह लाइसेस 2019 में 14 बेड का बना था। 2021 में उन्होने 22 बेड का नया लाइसेंस लिया है। यह लाइसेंस उनके पास सुरक्षित हैं इसके आधार पर वे अपना अस्पताल फिर शुरु कर सकते है लेकिन कलेक्टर के आदेश के पालन को उन्होने प्राथमिकता दी है। उन्हें कलेक्टर से न्याय की उम्मीद है।
विधायक को भी दी है जानकारी
डॉ यादव ने बताया कि दुर्ग शहर विधान सभा क्षेत्र के विधायक गजेन्द्र यादव को भी उन्होंने पूरे घटनाक्रम से अवगत करा दिया है। विधायक श्री यादव शहर के साथ यादव समाज का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। विधायक श्री यादव ने उन्हें इस मामले में न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया है। जीविका प्रभावित होने के साथ लोगो को उपचार का लाभ नही मिल पा रहा है। पत्रवार्ता में डॉ. यादव के साथ डॉ. प्रभा भी उपस्थित थी।