भिलाईनगर 27 अक्टूबर 2022 / लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा को लेकर भिलाई- दुर्ग सहित समीप के भिलाई-3 चरोदा, जामुल व कुम्हारी में तालाबों के घाटों की मरम्मत व साफ-सफाई का काम जोरों पर है। नगर निगम व जिला प्रशासन के निर्देश पर सफाई अभियान चलाया जा रहा है। इसके साथ ही घाटों को सजाने का कार्य भी शुरू हो गया है। इस बार 30 व 31 अक्टूबर को छठ है। छठ महापर्व के चलते दीपावली के बाद शहर के सभी बाजारों में फिर एक बार रौनक देखते बनेगी।
बिहार, उत्तर प्रदेश व झारखंड के मूल निवासियों ने छठ महापर्व की तैयारी शुरू कर दी है। चार दिन तक चलने वाला महापर्व छठ 28 अक्टूबर शुक्रवार को नहाय खाय के साथ प्रारंभ हो रहा है। यह पर्व संतान सुख और परिवार में सुख शांति और समृद्धि के लिए दीपावली के छह दिन के उपरांत कार्तिक मास की षष्ठी तिथि को छठ पर्व मनाया जाता है। शनिवार को खरना के साथ 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा। व्रती संतान की प्राप्ति, सुख-समृद्धि, संतान की दीघार्यु और आरोग्य की कामना के लिए साक्षात सूर्य देव और छठी मैया की आराधना करती हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार, 29 अक्टूबर, शनिवार को खरना है। इस दिन व्रती संध्या में आम की लकड़ी से मिट्टी के बने चूल्हे पर गुड़ का खीर बना कर भोग अर्पण करती हैं और प्रसाद के रूप में इसे ग्रहण करती है। इसके साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है। इससे एक दिन पूर्व शुक्रवार को नहाय खाय के दिन महिलाएं सूर्योदय से पूर्व स्नान कर नए वस्त्र धारण कर पूजा करने के उपरांत चने की दाल कद्दू की सब्जी और चावल का प्रसाद ग्रहण करेंगी।
भिलाई – दुर्ग में छठ महापर्व बड़े ही उमंग और उत्साह के साथ मनाया जाता है। दुर्ग के शिवनाथ नदी तट सहित शहर के तालाबों में सूर्य देव को अर्ध्य देने व्रती परिवार के साथ अनेक लोगों की भीड़ जुटती है। भिलाई टाउनशिप, सुपेला, नेहरू नगर, कोहका, रामनगर, केम्प, खुर्सीपार, मरोदा, रिसाली सहित भिलाई-3, चरोदा, जामुल व कुम्हारी के विभिन्न तालाबों में छठ पूजा होती है। इस पर्व की पवित्रता को देखते हुए नगर निगमों की ओर से तालाबों की सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने के साथ ही प्रकाश की व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है। व्रती परिवारों के द्वारा पूजा वेदी की मरम्मत व रंग रोगन का काम किया जा रहा है।
00 रविवार को देंगे सूर्यदेव को प्रथम अर्ध्य
खरना के दूसरे दिन अर्थात 30 अक्टूबर, रविवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इस दिन व्रती डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगे। इस दिन छठ घाट पहुंचने से पूर्व घर में सभी सदस्य मिलजुल कर साफ-सफाई से शुद्ध देसी घी में ठेकुआ बनाते हैं। इसी ठेकुआ, चावल के आटा और घी से बने लड्डू, पांच प्रकार के फल व दीए के साथ पूजा का सूप सजाया जाता है। दौरा सिर पर रखकर लोग छठ गीत की धुन पर श्रद्धा भाव के साथ घाट पहुंचते हैं।