रायपुर, 10 जनवरी 2023/मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि गौठानों में सोलर ड्रायर उपलब्ध कराए जाएंगे। धमधा और पत्थलगांव में टमाटर के बड़े पैमाने पर उत्पादन को देखते हुए इन क्षेत्रों के गौठानों में टमाटर को सूखा कर विक्रय का काम प्रारंभ किया जा सकता है। इसी तरह अन्य स्थानों में छत्तीसगढ़ की भाजियों को सूखा कर उनके विक्रय की शुरूआत की जा सकती है। इस नये कार्य से भी किसानों और समूहों की आय बढ़ेगी। मुख्यमंत्री आज यहां अपने निवास कार्यालय में गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों को राशि के ऑनलाईन अंतरण के लिए आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री बघेल ने कार्यक्रम में गौपालकों, गोबर विक्रेताओं, गौठान समितियों और महिला स्व-सहायता समूहों को 7 करोड़ 05 लाख रूपए की राशि का अंतरण किया। उन्होंने 16 दिसम्बर से 31 दिसम्बर तक गौठानों में पशुपालक ग्रामीणों, किसानों, भूमिहीनों से क्रय 2.29 लाख क्विंटल गोबर के एवज में उनके खाते में 4 करोड़ 59 लाख रूपए, गौठान समितियों को 1.46 करोड़ रुपए और महिला समूहों के खाते में 01 करोड़ रूपए की लाभांश राशि अंतरित की। इस अवसर पर कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे, मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा, छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह सहित कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी इस अवसर पर उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गोधन न्याय योजना और रूरल इंडस्ट्रियल पार्क ग्रामीणों को आय और रोजगार उपलब्ध कराने की एक सफल योजना के रूप में जल्द ही देश और दुनिया के सामने होगी। लोगों से इन योजनाओं के प्रति भारी समर्थन मिल रहा है। ग्रामीण नये-नये उद्यम स्थापित करने की मांग कर रहे हैं। स्थानीय संसाधनों और बाजार की मांग के अनुरूप ग्रामीणों और स्व-सहायता समूहों को उपयोगी और लाभप्रद लघु और कुटीर उद्योग स्थापित करने के लिए सहायता उपलब्ध कराई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि रीपा के कार्य में और अधिक तेजी लाई जानी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट के उत्पादन और उनके विक्रय में मिली सफलता के साथ महिला समूहों द्वारा गोबर से प्राकृतिक पेंट तैयार करने की यूनिट लगाने की काफी मांग कर रहे हैं। कई गौठानों में गोबर से बिजली बनाने का काम भी शुरू हो रहा है।
सुकमा और जगदलपुर में गोबर से बिजली के संयंत्र की स्थापना का कार्य इस माह में पूरा हो जाएगा। गोबर से गौ-काष्ठ और गमले जैसे उत्पाद भी तैयार किए जा रहे हैं, जिनकी अच्छी खपत हो रही है। गोबर हमारे लिए अब मूल्यवान बन गया है। गांवों में कुटीर उद्योग प्रारंभ होने की परिकल्पना अब साकार हो रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 10,894 स्वीकृत गौठानों में से 9,591 गौठानों का निर्माण पूरा हो चुका है। हमारे लगभग 50 प्रतिशत गौठान स्वावलंबी हो चुके हैं, 4,564 स्वावलंबी गौठानों ने अपनी स्वयं की राशि से अब तक 35.19 करोड़ रुपए के गोबर की खरीदी की है। कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे ने इस अवसर पर कहा कि हमारे गौठानों में अब गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ की परिकल्पना साकार होती दिख रही है। उन्होंने कहा कि गौठानों में अब तक 98.73 लाख क्विंटल गोबर की खरीदी की गई है, जिसके एवज में गोबर विक्रेताओं को 197.45 करोड़ रूपए का भुगतान किया गया है। इसी तरह इस योजना के माध्यम से गौठान समितियों एवं महिला स्व-सहायता समूहों को अब तक 171.87 करोड़ रूपए का भुगतान किया गया है। गौठानों में कार्यरत स्व-सहायता समूहों को आयमूलक गतिविधियों से अब तक 105.18 करोड़ रूपए की आय हो चुकी है। अब तक गौठानों से 16 लाख 68 हजार 715 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट का विक्रय किया जा चुका है।
37 गौठानों में शुरू होगी गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने की यूनिट
कार्यक्रम में जानकारी दी गई कि प्रदेश के 25 जिलों के 37 गौठानों में गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने की 37 यूनिटें इस माह के अंत तक स्थापित हो जाएंगी। वर्तमान में रायपुर और दुर्ग जिले में 2-2 और कांकेर में 01 प्राकृतिक पेंट बनाने की यूनिट में उत्पादन शुरू हो गया है, 8997 लीटर उत्पादित प्रकृतिक पेंट में से 3307 लीटर की बिक्री से स्व-सहायता समूहों को 7 लाख 2 हजार 30 रुपए की आमदनी हुई।
ब्रम्हास्त्र और वृद्धिवर्धक जीवामृत के विक्रय से महिला समूहों को 22.43 लाख रूपए की आय
96 गौठनों में 4 रुपए लीटर में 1 लाख 15 हजार 423 लीटर गौमूत्र की खरीदी की गई है। जिससे बनाए गये कीटनाशक ब्रम्हास्त्र और वृद्धिवर्धक जीवामृत की बिक्री से महिला स्व- सहायता समूहों को 22.43 लाख रूपए की आय हुई है। मुख्यमंत्री की पैरा दान की अपील पर किसानों ने गौठनों में 10.32 लाख क्विंटल पैरा दान किया है।
स्वावलंबी गौठान कृषि विभाग की तुलना में खरीद रहे हैं ज्यादा गोबर
पिछले पखवाड़े में खरीदे गए गोबर के एवज में गोबर विक्रेताओं को आज भुगतान की गई 4.59 करोड़ रुपए की राशि में से 1.76 करोड़ रुपए का भुगतान कृषि विभाग द्वारा किया गया, जबकि 4564 स्वावलंबी गौठानों ने अपने संसाधनों से गोबर खरीदी के एवज में 2.83 करोड़ रूपए का भुगतान किया है।