सेफी चेयरमैन नरेंद्र बंछोर ने पदाधिकारियों के साथ   इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से मिलकर SAIL,FSNL,NMDC, व RINL के अधिकारियों के मुद्दे, प्रमोशन, विलय ,पर रखा अपना पक्ष,….

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भिलाईनगर 15 फरवरी 2024 :- सेफी पदाधिकारियों ने इस्पात मंत्रालय के समक्ष रखे अधिकारियों के मुद्दे सेफी पदाधिकारियों ने केन्द्रीय विमानन एवं इस्पात मंत्री  ज्योतिरादित्य सिंधिया, इस्पात राज्य मंत्री  फग्गन सिंह कुलस्ते, संयुक्त सचिव  अभिजीत नरेन्द्र से नई दिल्ली में मुलाकात कर इस्पात क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। जिसमें मुख्य तौर पर सार्वजनिक इस्पात उपक्रमों के विनिवेश के स्थान पर रणनीतिक समायोजन, 11 माह के पर्क्स के एरियर्स का भुगतान, आर.आई.एन. एल. के अधिकारियों के लंबित प्रमोशन को पुनः चालू करने आदि विषयों पर चर्चा की।


विदित हो कि शासन के द्वारा विनिवेश हेतु प्रस्तावित इकाईयों के निजीकरण की प्रक्रिया में गतिविधियां बढ़ी है जिसके तहत फैरो स्क्रैप निगम लिमिटेड एवं नगरनार इस्पात संयंत्र के विनिवेश की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया है। इस संदर्भ में जानकारी वित्त मंत्रालय के डाइपम विभाग से सेफी को प्राप्त पत्र दी गयी है तथा इस वर्ष के बजट में भी विनिवेश के लक्ष्य को बढ़ाया गया है।


सेफी ने नई दिल्ली में 04.04.2021 को आयोजित सेफी काउंसिल की बैठक में इस्पात क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों के रणनीतिक विलय हेतु संकल्प पारित किया था। जिससे सेफी से संबद्ध इस्पात मंत्रालय के अधीन उपक्रम सेल, आर.आई.एन.एल., नगरनार इस्पात संयंत्र, एन.एम.डी.सी., मेकॉन आदि का रणनीतिक विलय कर इस्पात मंत्रालय के अंतर्गत एक मेगा स्टील पीएसयू का गठन किया जा सके। सेफी के संकल्प को आधार बनाकर 15.12.2021 को लोकसभा में इस्पात क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों के रणनीतिक विलय के विषय पर चर्चा की गई थी।


विदित हो कि भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय के निर्देशानुसार सेल जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के महारत्न कंपनी सेल को सरकार के इस्पात नीति 2030 के तहत क्षमता विस्तार हेतु निर्देशित किया गया है। इसके तहत सेल को विस्तारीकरण का बड़ा लक्ष्य दिया गया है जिसके तहत एक लाख दस हजार करोड़ रूपये की राशि का निवेश 2030 तक करने की योजना है। सेफी का मानना है कि भविष्य में इस मद में की जाने वाली निवेश की राशि से आर.आई.एन.एल. एवं नगरनार इस्पात संयंत्र तथा एफ.एस.एन.एल. जैसी इकाईयों का रणनीतिक विलय कर जहां सेल के विस्तारीकरण के लक्ष्य को शीघ्र ही प्राप्त किया जा सकता है ।

वहीं इन कंपनियों के कार्मिकों के हितों की रक्षा तथा क्षेत्र के सामाजिक दायित्वों का निवर्हन को भी प्राथमिकता देते हुए इसका बेहतर संचालन किया जा सकता है। इन राष्ट्रीय संपत्तियों को विनिवेश से बचाया जा सकेगा जिससे इन इकाईयों से जुड़े परिवारों, समाजों को प्राप्त प्रत्यक्ष रोजगार तथा इससे सृजित अपरोक्ष रोजगार को सुरक्षित रखा जा सकेगा। सरकार का यह कदम जहां क्षेत्र के विकास को एक नई गति देगा वहीं बस्तर जैसे दुर्गम वनांचल क्षेत्र में सामाजिक, आर्थिक एवं अधोसंरचना विकास को नई दिशा देने में सफल हो सकेगी।

वर्तमान में भारत सरकार ने राष्ट्रीय एवं सामाजिक विकास को पहली प्राथमिकता दी है अतः इस संदर्भ में इसतरह की रणनीतिक विलय से एक बड़े सार्वजनिक क्षेत्र का उदय होगा जो भारत सरकार के विकास की रणनीति को सफल बनाने में योगदान देगा। इस संदर्भ में ज्ञात हो कि भारत सरकार द्वारा इस तरह के रणनीतिक विलय बैंको में किया गया जहां इसका बेहतर परिणाम प्राप्त हुआ है। सार्वजनिक क्षेत्र के इस्पात उपक्रमों के अधिकारियों का अपेक्स संगठन सेफी प्रारंभ से ही सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के अंधाधुंध नीजिकरण एवं विनिवेश के स्थान पर, पुर्नगठन तथा रणनीतिक समायोजन पर जोर देता रहा है।


विनिवेश किये जाने वाले इन इकाईयों की क्षमता पर अगर गंभीरतापूर्वक विचार करें तो इन इकाईयों के अलग-अलग क्षमताओं तथा उपलब्ध संसाधनों को मिलाकर एक लाभकारी रणनीति बनाई जा सकती है जिसमें इन इकाईयों को बेचने की आवश्यकता नहीं होगी। उदाहरण के लिए आज आरआईएनएल के पास कुशल व तकनीकी क्षमता से परिपूर्ण मानव संसाधन उपलब्ध है परंतु इनके पास स्वयं का लौह अयस्क माइंस नहीं होने के कारण कच्चे माल की कमी तथा कच्चे माल को अधिक कीमत में खरीदने की बाध्यता ने इस कंपनी के लाभार्जन की क्षमता को न्यूनतम कर दिया है। वहीं एनएमडीसी के बस्तर में स्थापित नगरनार इस्पात संयंत्र जिसे 24 हजार करोड़ रूपये खर्च करके चालू किया जा रहा है।

इस संयंत्र के पास कच्चे माल की संपूर्ण उपलब्धता तो है परंतु इसे चलाने के लिए कुशल व तकनीकी क्षमता से परिपूर्ण मानव संसाधन की उपलब्धता नहीं है। जिसके चलते इस संयंत्र की भी लाभार्जन क्षमता भारी रूप से प्रभावित हुई है। राष्ट्र को हजारों करोड़ खर्च करने के बाद भी कोई लाभ नहीं हो पा रहा है। अतः इन इकाईयों के रणनीतिक विलय से जहां एक इकाई को कच्चा माल उपलब्ध हो पाएगा वहीं दूसरी इकाई को तकनीकी क्षमता से परिपूर्ण मानव संसाधन मिलने में सहुलियत होगी। इस प्रकार दोनों ही कंपनियां एक दूसरे की पूरक बनकर लाभार्जन करने लगेगी जो भारत सरकार को आर्थिक संबलता प्रदान करेगा।


राष्ट्रहित में लाभार्जन की इस क्षमता को बढ़ाने हेतु आर.आई.एन.एल., नगरनार इस्पात संयंत्र तथा एफएसएनएल को बेचने के बजाए इनका रणनीतिक विलय महारत्न कंपनी सेल के साथ कर एक मेगा पीएसयू का निर्माण किया जाना आवश्यक है। इस प्रकार देश इस्पात क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से अग्रसर होने के साथ ही रोजगार सृजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। साथ ही सीएसआर गतिविधियों को भी गति प्रदान कर सामाजिक तथा सांस्कृतिक उत्थान के भारत सरकार के लक्ष्यों को भी तेजी से पूर्ण करना संभव हो सकेगा। इस रणनीतिक विलय से सरकार के विकास के एजेंडे को भी नई दिशा मिलेगी।


सेफी अध्यक्ष श्री नरेन्द्र कुमार बंछोर ने बताया कि प्रस्तावित संयंत्र एक दूसरे के अनुपूरक बन सकते हैं। इस्पात मंत्रालय को सेफी के रणनीतिक विलय के सुझाव पर विचार करना चाहिए। यदि सेल, आर.आई.एन.एल. व नगरनार इस्पात संयंत्र तथा एफएसएनएल को एक मेगा कंपनी बनाया जाता है तो इस कंपनी के पास उन्नत इस्पात संयंत्र तथा प्रचुर मात्रा में आयरन अयस्क और निर्यात हेतु स्वयं का पोर्ट उपलब्ध रहेगा जिससे यह राष्ट्र के लिए अत्यंत ही लाभकारी होगा। इस्पात मंत्रालय के मंत्रीगणों एवं अधिकारियों से इस विषय पर गंभीर चर्चा की गयी।


11 माह के पर्क्स की राशि के भुगतान हेतु सेफी के पदाधिकारियों ने केन्द्रीय विमानन एवं इस्पात मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, इस्पात राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते, संयुक्त सचिव (इस्पात), श्री अभिजीत नरेन्द्र से चर्चा की। सेफी,चेयरमेन एवं बीएसपी,ओए के अध्यक्ष नरेन्द्र कुमार बंछोर ने बताया कि सबसे पहले सेफी ने सेल में 26-11-2008 से 04-10-2009 के 11 माह के पर्क्स की राशि के भुगतान हेतु माननीय कैट के समक्ष केस दायर किया था। जिसमे माननीय कैट ने आदेश क्रमांक ओए/350/00191/2014 दिनांक 15.02.2016 द्वारा सेफी के पक्ष में आदेश दिया था। जिसे सेल प्रबंधन ने कैट के आदेश को माननीय उच्च न्यायालय कोलकाता में चुनौती दी थी। दिनांक 13 सितंबर, 2023 को सेल की रिट याचिका को कोलकाता हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति तपब्रत चक्रवर्ती की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने खारिज कर दिया है। जिसके फलस्वरूप अधिकारियों को अपने वाजिब हक की राशि मिलने का रास्ता साफ हो गया है।


सरकार के दिशानिर्देश के तहत इस भुगतान को करने के लिए सेल प्रबंधन को अप्रैल 2008 में बोर्ड मीटिंग में प्रस्ताव पारित कर मंत्रालय को प्रेषित करना था परंतु विडम्बना यह है कि उस वक्त सेल का उच्च प्रबंधन एवं मंत्रालय के अधिकारी विदेश यात्रा पर थे। जिसके कारण उन्होंने सरकारी दिशानिर्देश के तहत दिए गए समय-सीमा के भीतर इस प्रस्ताव को रखने में देरी हुई जबकि उस वक्त सेल के पास हजारों करोड़ रूपये का सरप्लस राशि उपलब्ध थी। इस संदर्भ में ज्ञात हो कि इस मुद्दे पर राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल.) ने तत्काल कार्यवाही करते हुए बोर्ड मीटिंग में इस प्रस्ताव को पारित कर अपने अधिकारियों को पूरा लाभ दिलाया। अतः सेल अधिकारियों को भी तदानुसार 11 माह का पर्क्स एरियर्स का भुगतान करवाने का आग्रह किया।


सेफी पदाधिकारियों ने आर.आई.एन.एल. के अधिकारियों के पिछले वर्षों से लंबित प्रमोशन को शीघ्र चालू करवाने हेतु भी चर्चा की। वर्ष 2019 से आर.आई.एन.एल. के अधिकारियों का प्रमोशन लंबित है। आर.आई.एन.एल. प्रबंधन एवं मंत्रालय के आश्वासन के बाद भी प्रमोशन की प्रक्रिया चालू नहीं की गई है। सेफी ने इस्पात सचिव से इस हेतु शीघ्र हस्ताक्षेप करने का आग्रह किया।
इस्पात मंत्रालय के सभी नीति-निर्धारकों से सेफी की चर्चा सकारात्मक रही तथा सेफी ने अधिकारियों के लंबित मुद्दों को हल करने हेतु तथ्यों के साथ अपनी मांग दर्ज करायी। सेफी की ओर से सेफी चेयरमेन श्री नरेन्द्र कुमार बंछोर के नेतृत्व में सेफी महासचिव अबकाश मलिक एवं सेफी वाइस चेयरमेन श्री नरेन्द्र सिंह एवं एफएसएनएल एक्सीक्यूटिव फेडेरेशन से के. गिरीश कुमार, सौरभ थारेवाल, प्रशांत साहू नई दिल्ली में उपस्थित थे ।


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