श्रीराम कथा पंचम दिवस… बच्चों को बाल रूप से ही संस्कार देना चाहिए…राजन जी…मनुष्य की कोई भी इच्छा शेष नहीं रह जाती जब वे ईश्वर का दर्शन कर लेते….

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श्रीराम कथा पंचम दिवस… बच्चों को बाल रूप से ही संस्कार देना चाहिए…राजन जी…

भिलाई नगर 16 सितंबर 2025:- आईटीआई मैदान, खुर्सीपार में जीवन आनंद फाउंडेशन भिलाई एवं भारतीय जनता पार्टी के नेता विनोद सिंह के संयोजन में पूज्य राजन जी महाराज के श्रीमुख से आयोजित श्रीराम कथा महिमा के पंचम दिवस कथा में आज विशिष्ट श्रोता के रूप में वैशाली नगर के  विधायक रिकेश सेन सपरिवार पहुंचे, साथ ही पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष महेश वर्मा , भिलाई नगर निगम में उपनेता प्रतिपक्ष दयासिंह , भाजपा जिलाउपाध्यक्ष  राम उपकार तिवारी समेत जिला भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं कार्यकर्ता, नगर के समाजसेवी एवं व्यापारी साथी उपस्थित रहे।

श्री राम कथा की शुरुआत आज मिथिला नगर से हुई जहां भगवान श्री राम जी एवं श्री लक्ष्मण जी महाराज गुरु विश्वामित्र जी के समक्ष इच्छा प्रकट करते है कि वे मिथिला नगर भ्रमण पर जाएंगे। महाराज जी ने मिथिला की गलियों पर राम लक्ष्मण के पहुंचने के बाद उन्हें देखकर माता सीता की सखियों के आनंद का मनोहारी चित्रण प्रस्तुत किया।

उन्होंने कहा कि मिथिला वासियों की समस्त इच्छाएं समाप्त हो गई क्योंकि मनुष्य की कोई भी इच्छा शेष नहीं रह जाती जब वे ईश्वर का दर्शन कर लेते है। राम जी के पुष्प वाटिका में परम भेंट तपश्चात धनुष यज्ञ में पहुंचने का जीवन प्रसंग सुनाया।

सीता जी के स्वयंवर में पहुंचे दस हजार राजाओं में कैसे अकेले राम ने धनुष उठाकर प्रत्यंचा चढ़ाई इसके पश्चात विवाह एवं बारात में श्री राम सीता जी के सभी देवताओं के पहुंचने का प्रसंग और कैसे कई कई नेत्रों से वो इस विवाह का आनंद उठा रहे थे महाराज जी ने सुनाया। इसके पश्चात राम जी के तीनों भाइयों का विवाह जनक जी के तीनों पुत्रियों के विवाह का वर्णन किया।

उन्होंने पूर्वांचल में प्रचलित “आज मिथिला नगरिया निहाल सखियां” भजन भी सुनाया, जिसमें समस्त श्रोता समेत वींवीआईपी श्रोता भी थिरकने लगे। जिसमें लक्ष्मण जी का विवाह जनक जी पुत्री एवं माता सीता की छोटी बहन उर्मिला से महाराज भरत जी का विवाह राजा जनक के छोटे भाई कुशध्वज की पुत्री मांडवी जी से, महाराज शत्रुघ्न जी का विवाह मांडवी जी कि छोटी बहन श्रुतिकीर्ति जी से संपन्न हुआ। इसके पश्चात कई दिनों तक बारातियों मिथिला नगरी में रुकने का वर्णन किया क्योंकि राजा जनक जी ने उन्हें भाववश सत्कार करने के लिए रोका था।

महाराज जी ने कथा के मध्य में श्री जी एवं लक्ष्मण जी के आचरण बचपन से धार्मिक एवं आध्यात्मिक रुझान का वर्णन किया एवं समाज को ये प्रेरणा दिया कि अपने बच्चों को बाल रूप से ही संस्कार देना चाहिए जब वो सीखने लायक हो जाते है, जैसे माता पिता के चरण स्पर्श करना और भजन गाना। उन्होंने माता-पिता से कहा जब भी स्कूल भेजे बच्चों को हनुमान चालीसा का पाठ करा कर भेजें इससे बल, बुद्धि और विद्या की प्राप्ति होती है।


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