भिलाईनगर 10 फरवरी 2024:- जितेंद्र सिंह और बैकुंठ धाम मंदिर के तत्वावधान में श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह का आयोजन 10 से 16 फरवरी तक दोपहर 2 बजे से शाम 05 बजे तक आचार्य संदीप तिवारी(फतेहपुर) द्वारा सर्वजन कल्याणार्थ के उद्देश्य से किया गया है। जिसके प्रथम दिवस शनिवार को व्यासपीठ से कथावाचक ने भागवत कथा का लाभ, अर्थ व कथा का महात्म्य एवं महिलाओं को ही कलश उठाने का अधिकार है पुरुषों को नही के संदर्भ में भी बताया।
वैदिक मंत्रोउच्चार से हुई वेदी स्थापना,,,,,,
कथा के प्रथम दिवस विद्वान पंडितों द्वारा सुबह 10 बजे से पूरे विधि-विधान से मंत्रोच्चार कर बेदी स्थापना कर पूजन किया गया। मुख्य यजमानों जितेंद्र सिंह एवं श्रीमती गीता देवी की उपस्थिति में दोपहर 2 बजे श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ आचार्य पंडित संदीप तिवारी फतेहपुर वाले ने भागवत जी की आरती कर किया गया। इस दौरान उन्होंने श्रीमद्भागवत कथा कब, क्यों, कैसे व उसके फल का महात्म्य व कलश के संदर्भ में विस्तार से व्याखाया की।
भागवत कथा व कलश का बताया महात्मय
राम कृपा बिनु सुलभ न सोई, बिनु सत्संग विवेक न होई यानी जब तक मानव के जीवन में प्रभु राम की कृपा नही होती तब तक हम किसी कथा में नही जा सकते व सत्संग का लाभ नही ले सकते है। यह बातें बैकुंठ धाम मंदिर के प्रांगण में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह के पहले दिन कथावाचक आचार्य पंडित संदीप तिवारी ने कहा। उन्होंने श्रीमद्भागवत कथा के महात्म्य का सप्रसंग विस्तार से व्याख्यान करते हुए कहा कि भागवत चार शब्दों से बना है जिसका अर्थ है कि भागवत कथा सुनने से भ से भाग्य खुल जाते है, ग से गुमान घट जाता है व से वल व बुद्धी बढ़ जाती है एवं त से तकदीर खुल जाती है। वेद रुपी वृक्ष का फल ही भागवत कथा है इसलिए प्रत्येक सनातनी व्यक्ति को भागवत कथा अवश्य ही सुननी चाहिए। माता भक्ति एवं उनके दो पुत्र ज्ञान व वैराग्य के बारे में बताया।
कलश में तीन देवीयों का पुण्य-प्रताप,,,,,
आचार्य ने कलश की व्याख्या करते हुए महिलाओं को बेहद ऊर्जावान व सशक्त बताते हुए कहा कि कलश में क से काली, ल से लक्ष्मी व स से माता सरस्वती का वास होता है। यह तीनों माताओं के तेज को सिर पर उठाने जैसा महान कार्य केवल महिलाएं ही कर सकती है। साथ ही कलश में जल के देवता वरुण का निवास होता है।
आज होगी इनकी व्याख्या:
आचार्य पं संदीप तिवारी फतेहपुर ने बताया कि कथा के द्वितीय दिवस मंगलाचरण, श्री सुकदेव अवतार, परीक्षित जन्म, सृष्टी विस्तार, हिरण्याक्ष वध, राजा परिक्षित जन्म, कपिल अवतार आदि प्रसंगों का विस्तार पूर्वक व्याख्या की जाएगी।