भिलाई नगर 26 नवंबर 2022। नेहरू नगर मेें परम पूज्य आचार्य श्री विशुद्ध सागर महाराज जी के सानिध्य में उनके अमृत वचनों द्वारा याग मंडल विधान पूजन के पश्चात नेहरू नगर मंदिर जी में शिखर के ऊपर पहले से प्रतिष्ठित 24 तीर्थंकर भगवान के मंदिर के शिखर के ऊपर 24 कलसारोहन कलश के साथ श्री पार्श्वनाथ भगवान की 4 प्रतिमाएं के पुण्य अर्जक ने मार्बल के कमल फूल के ऊपर प्रदीप जैन बाकलीवाल, मनीष जैन डॉ.उज्जवल पाटनी एन.के.नाईक संदीप सुधीर नाइक नायक परिवार ने प्रतिष्ठाचार्य एवं आचार्य विशुद्ध सागर महाराज को नमोस्तु करते हुए आचार्य श्री के अमृत वचनों में मंत्रोचार के साथ स्थापित की गई। मंगल अभिषेक सभी भक्तों ने प्रतिमा पर किए . परम पूज्य आचार्य श्री को प्रवचन के पश्चात वास्तु शास्त्र जिनवाणी सुरेंद्र गोदा परिवार के साथ प्रदीप जैन बाकलीवाल प्रशांत जैन ने अर्पण किया।
तत्पश्चात आचार्य विशुद्ध सागर महाराज जी का सत्संग दोपहर में नेहरू नगर से रूआबांधा दिगंबर जैन मंदिर में मंगल विहार के समय परम पूज्य आचार्य श्री विशुद्ध सागर महाराज जी सत्संग का एवं आचार्य श्री पवित्र सागर महाराज जी का सत्संग महामिलन रूआबांधा मंदिर के पास हुआ संपूर्ण भिलाई दुर्ग जैन समाज को यह अनमोल दृश्य देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । आज आचार्य श्री का नेहरू नगर से मोहनलाल बाकलीवाल ब्रिज के पास कासलीवाल निवास , पश्चात सेक्टर 7 चौक पर, रूआबांधा जैन समाज के द्वारा भव्य अगवानी की गई जिसमें गाजे-बाजे के साथ छत्तीसगढ़ के लोक कलाकार मंगल विहार यात्रा में आगे की ओर चल रहे थे और जैन मंदिर के युवा जैन ध्वज ध्वज लेकर अहिंसा परमो धर्म की जय कारा के साथ आचार्य की जयकारा के साथ सैकड़ों भक्त अगवानी कर रहे थे।
सेक्टर 8 चौक पर राजेश सुपर बाजार सेक्टर 10 मार्केट में राजीव जैन के मार्केट से होते हुए आज रूआबांधा जैन मंदिर में रैंप के ऊपर आचार्य श्री विशुद्ध सागर महाराज जी एवं पवित्र सागर महाराज जी के पाद प्रक्षालन रूआबांधा मंदिर समिति के ब्रह्मचारी भैया महेंद्र बाकलीवाल अंकित भैया भूपेंद्र जैन अजीत जैन राजीव जैनको राजेश सुपर बाजार ,प्रदीप जैन बाकलीवाल, राजेश जैन ,सुधीर जैन राहुल जैन, संजीव जैन अनिल जैन प्रशांत जैन, भागचंद जैन ,सुनील जैन रूआबांधा जैन समाज राजनांदगांव जैन समाज के अध्यक्ष अशोक झंझरी पप्पू भैया एवं महिलाओं एवं पुरुष वर्ग आचार्य श्री का अगवानी करते मंदिर जी के मंगल दर्शन किए।
आचार्यश्री पवित्र सागर जी ने सभी को संबोधित करते हुए धर्म अप्राप्ति के हेतुओं का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि पूर्व में साधुसंत अनेक स्थानों पर नहीं पहुंच पाते थे क्योंकि साधुसंतों की संख्या में न्यूनता थी, परंतु सम्प्रति काल में नगर नगर गली गली साधुओं का त्यागियों का भ्रमण होता रहता है। ऐसे में सामान्य व्यक्तियों को इन त्यागिओं का प्रयोग करना चाहिए अर्थात इनके उपदेशों का अनुसरण करना चाहिए।
तत्पश्चात् आचार्य विशुद्ध सागरजी ने समाज को संबोधित करते हुए कि जब घूरे के दिन बदल सकते है तो पाश्र्वनाथ स्वामी इतने विशाल मंदिर में क्यो विराजमान नहीं हो सकते। सबके दिन एक से नही होते सब दिन एक से नही होते। चेतन जिनबिम्ब और अचतेन जिनबिम्बों का आज महामिलन हुआ। उन्होंने कहा कि जहां दिग्म्बर मुनि दृष्टिगोचर हो जाएं वहां कार्य पूर्ण नही हो ऐसा हो नहीं सकता है।