रायपुर। जशपुर वन मंडल में हाथी परिवार और हाथी मां से बिछड़े एक माह के हाथी शावक को एकजुट कराने के लिए आज रायपुर के वन्यजीव प्रेमियों ने वन मंत्री मोहम्मद अकबर से मुलाकात कर हाथी शावक को उसकी मां से एकजुट कराने की मांग की और ज्ञापन सौंपा। मंत्री अकबर ने मामले की संवेदनशीलता को गंभीरता से लेते हुए तत्काल ही प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) को किसी भी हालत में शावक को हाथी मां के साथ एकजुट कराने के निर्देश दिए।
रायपुर के वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी, पीपल फॉर एनिमल रायपुर की कस्तूरी बल्लाल, संकल्प गायधनी, रुचिता राजपाल और अन्य लोगों ने मंत्री को ज्ञापन सौंपकर बताया कि 2 दिन पूर्व जशपुर वन मंडल में एक हाथी परिवार से एक माह का हाथी शावक अपनी माँ और परिवार से बिछड़ कर ग्राम समदाडा में आ गया था। जहां पर कई ग्रामीणों ने हाथी शावक को बहुत बार हाथ लगाया, गांव के बच्चों ने उसके साथ खेलने का प्रयत्न किया और कई बार हाथ लगाया, उसे पंचायत भवन में बंद करके रखा गया।
हाथी शावक को दूध पिलाया गया और उसके परिवार से मिलाने का दो बार प्रयत्न किया गया जिसके लिए उसे जंगल में छोड़ा गया, परंतु दोनों बार वह वापस आ गया। इसका संभवतः कारण यह है कि मानव गंध लगने के पश्चात हाथी माँ उस शावक को स्वीकार नहीं करती और जब हाथी शावक को भूख लगी तो वह उस जगह वापस आ गया जहां उसे दूध मिला था। वापस माँ से मिलाने के लिए के लिए वैज्ञानिक आधार पर प्रयत्न किए जाते हैं जो कि वन विभाग ने नहीं किये।
गौरतलब है कि हाथी शावक को, हाथी परिवार के साथ वापस एकजुट करने के लिए उसके परिवार के हाथियों का लीद, उस हाथी शावक के पूरे शारीर में लीप कर जंगल में बाड़े में रखा जाता है, जहाँ से माँ उसे ले कर चली जाती है, यह प्रयत्न कई बार करना पड़ सकता है। परन्तु वन विभाग ने शावक को तपकरा के रेस्ट हाउस में रखा गया है। वन मंत्री को बताया गया कि वन विभाग मुख्यालय के अधिकारी शावक को माँ से मिलवाने का प्रयत्न करने की बजाये शावक को तमोर पिंगला रेस्क्यू सेंटर भिजवाने में ज्यादा उत्सुक है।
एक्सपर्ट भिजवायें
ज्ञापन में मांग की गई कि एक्सपर्ट डॉक्टरों से हाथी शावक को माँ से मिलवाने का प्रयत्न करवाया जाये एंव रेस्क्यू सेंटर में शावक को भिजवाने के विकल्प का निर्णय अंतिम हो, जो कि एक्सपर्ट डॉक्टर की समिति की अनुशंशा पर ही लिया जाये, इस हेतु वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया, वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया और मथुरा की संस्था वाइल्डलाइफ SOS से भी सहयोग लिया जा सकता है।
अध्यन आवश्यक है
ज्ञापन में बताया गया कि यह अध्ययन होना भी आवश्यक है कि जशपुर वनमंडल का यह शावक परिवार से कैसे बिछड़ गया और अगर माँ उसे स्वीकार नहीं कर रही है तो क्या कारण है? ताकि भविष्य में इस प्रकार का अध्ययन हाथियों के संरक्षण में काम आवे परंतु इस प्रकार का अध्ययन कराने में भी प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) उत्सुक नहीं हैं।