‌देश में मनुवादी और पूंजीवादी तत्वों के कब्जे से लोगों की हालत दयनीय – एम.डब्ल्यू. अंसारी
00 राष्ट्रीय मुस्लिम मोर्चा के अधिवेशन में डीजीपी ने दिया व्याख्यान….

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भोपाल 05 अक्टूबर 2023 :- आज पूरे देश पर मनुवादी और पूनजीवादी तत्वों का कब्जा हो जाने के कारण स्थानीय लोगों की स्थिति बद से बदतर और दयनीय हो गई है। इसलिए इस बोसीदा मनुवादी और पूनजीवादी व्यवस्था को खत्म किये बिना भारत के मूल निवासियों का विकास संभव नहीं है। इन ख्यालात का इज़हार छत्तीसगढ़ के पूर्व डीजीपी एम.डब्ल्यू. अंसारी ने राजधानी दिल्ली में राष्ट्रीय मुस्लिम मोर्चा के दूसरे राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान किया। इस राष्ट्रीय अधिवेशन में आप मुख्य अतिथि थे ।

श्री एम.डब्ल्यू अंसारी ने समाज में सावित्री बाई फुले, शेख फातिमा, अली हुसैन आसिम बिहारी, अब्दुल कय्यूम अंसारी, हसरत मोहानी और डॉ. भीमराव अंबेडकर के किरदार और संघर्ष को बताया और देश के सभी नागरिकों को प्रोत्साहित किया। उन्होंने आगे कहा कि मनुवादी और पूनजीवादी व्यवस्था की जड़ें बहुत मज़बूत हैं क्योंकि यह भारत की प्राचीन शोषणकारी सोच है जिसने हर युग में गरीबों और पिछड़े लोगों का बहुत शोषण किया है। आजादी के बाद भी यह विचार

समाज में बढ़ता ही रहा, इसने समाज के हर वर्ग में अपनी जड़ें मजबूत कर लीं और हर राजनीतिक दल और सामाजिक संगठन में इस मनुवादी और पूनजीवादी विचार धारको ने गरीबों का शोषण क्या है। इस फिक के हामलीन ने पिछड़ों को पिछड़ा ही रहने देने के लिए पूरी ताकत लगा दी है। आज जो भी पार्टी है सब में इसी फिक के लोग शामिल होकर पिछड़ों और गरीबों का शोषण कर रहे हैं। आज एनडीए सरकार महिला बिल को संसद में पास कराकर अपनी सबसे बड़ी सफलता का दावा कर रही है, लेकिन इसके पीछे की मंशा क्या है ये भी जानना जरूरी है । सवाल ये है कि क्या वो वाकई महिलाओं को इतनी आसानी से आरक्षण दे देंगे? बिलकुल नहीं! इस बिल को लागू करने की शर्तों के मुताबिक यह बिल किसी भी सूरत में 2039 से पहले लागू नहीं किया जा सकता है। यह सिर्फ एक चुनावी हथकंडा है। जिसके सहारे 2024 का चुनाव जीतने के साथ-साथ वन नेशन वन इलेक्शन का सपना पूरा करना है और मनुवादी पूनजीवादी व्यवस्था को लागू करना है। हालाँकि भारत देश में, जहाँ अलग-अलग समाज, अलग-अलग भाषाएँ और अलग-अलग संस्कृतियाँ हैं, एक राष्ट्र, एक चुनाव की बात गलत है। इस देश में हमेशा से ही अलग-अलग पार्टियों को मानने वाले लोग रहे हैं और आज भी हैं। ऐसी कई पार्टियाँ हैं जो अपने स्तर पर काम करती हैं और कर रही हैं और यही इस देश की खूबसूरती है। जो लोग एक राष्ट्र एक चुनाव की बात कर रहे हैं वे इन सभी पार्टियों और उनके प्रशंसकों और इस देश की जनता को धोखा देना चाहते हैं।

आज देश में स्थिति यह है कि सरकार तीन-चार पूंजीपतियों पर देश की पूरी अर्थव्यवस्था दांव पर लगा रही है क्योंकि वह इसी विचार (वन नेशन वन इलेक्शन) के समर्थक हैं और इसी विचार के अनुरूप इसे अपने एजेंडे में शामिल कर देश की पूंजी को व्यावहारिक रूप से पूंजीपतियों पर लुटाया जा रहा है। जनता की कमाई पर कब्ज़ा करके पूंजीपतियों का कर्ज माफ किया जा रहा है। जबकि किसानों के कर्ज माफी पर कोई ठोस कदम नही उठाए गए हैं।

ये सब मनुवादी और पूंजीवादी सोच को बढ़ावा देने का ज़रिया है, वैसे तो लोग दूसरी पार्टियों को सेक्युलर होने का यकीन दिलाते हैं, लेकिन आखिर क्या बात है कि तमाम पार्टीयां एनडीए के हर फैसले पर अपना समर्थन जताती है? चाहे नोटबंदी हो, लाकडाउन हो या महिला बिल, हर फैसले पर तमाम सेक्युलर पार्टीयों

का रूख एक ही होता है। क्योंकि वहाँ भी मनुवादी और पूंजीवादी विचार के लोग मोजूद हैं। आम आदमी पार्टी ने सबसे पहले महिला विधेयक का विरोध करते हुए कहा है कि यह सिर्फ चुनावी हथकंडा है, नहीं तो इसके लागू होने में सदियां लग सकती हैं। इतिहास गवाह है कि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर से अधिक देशभक्त और भारतीयों का हितैषी कोई पैदा नहीं हुआ बाबा साहब ने भारत के दर्द को समझते हुए हमारे देश को ऐसे उत्कृष्ट कानून दिए जिनकी पूरी दुनिया में कोई मिसाल नहीं है। अंबेडकर ने भारत को ऐसे कानून दिए हैं, जिन्हें अगर पूरी तरह से लागू किया जाए तो भारत में न्याय का बोल बाला होगा, कोई भी पीछड़ा नहीं रहेगा।

श्री एमडब्ल्यू अंसारी ने कहा कि इस समय हर पार्टी को सबसे पहला काम यह करना चाहिए कि वह अपनी पार्टी से मनुवादी और पूनजीवादी तत्वों को खत्म करे। क्योंकि देखा जाए तो पिछले कुछ सालों में देश का माहौल खराब करने में इसी मानसिकता के लोगों का हाथ है, चाहे वो आरएसएस हो या कोई अन्य पार्टी ।

पूर्व डीजीपी ने बिहार में हुई जातीगत जनगणना की सराहना करते हुए कहा कि यह वाकई सराहनीय काम है। जिस तरह बिहार में जनगणना हुई है, उसी तरह देश के हर प्रांत में जनगणना होनी चाहिए, ताकि पिछड़े समाज को भी शिक्षा, विकास और अर्थव्यवस्था के मामले में मजबूत किया जा सके। इनमें सबसे पिछड़े समाज, दलित, मुस्लिम, ओबीसी, मुस्लिम हैं। उन्होंने पुरानी पेंशन योजना की चर्चा करते हुए कहा कि अगर पुरानी पेंशन योजना लागू नहीं हुई तो ये पूरे देश में हिंसा फैलने की वजह बन जायेगी। यह सरकार वास्तविक मुद्दों पर चर्चा नहीं करती बल्कि अनावश्यक और निरर्थक मुद्दों पर चर्चा करती है। उन्होंने कहा कि मैं हमेशा कहता हूं कि सड़कों, शहरों, इमारतों और देश का नाम बदलने से कोई फायदा नही। देश की जनता के हित की बात क्यों नहीं की जाती? अभी कुछ दिन पहले भारत और इंडिया पर एक नया प्रतिवाद खड़ा किया गया। मैं कहता हूं कि भारत भारत है और भारत ही इंडीया है। सड़क का नाम कुछ भी हो, सड़क होनी चाहिए। नाम बदलने की बजाय सड़क बनाने की बात होनी चाहिए। कई जगह ऐसी हैं, जहां पक्की सड़क नहीं है। वहाँ सड़क बनाने की बात क्यों नहीं होती? घर-घर तिरंगे की बात होती है, लेकिन घर-घर रोजगार की बात क्यों नहीं होती? इसलिए इस देश के प्रत्येक नागरिक को जागरूक होकर अपने बीच से मनुवादी और

पूंजीवादी तत्वों को जड़ से उखाड़ कर फेंकना होगा, तभी यह देश विकसित हो सकता है। इस देश के निवासी शांति और सुकून से रह सकेंगे। हर जगह शांति और न्याय का बोल बाला होगा और यह देश सही मायने में विश्वगुरु बन सकेगा।


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