रायपुर 12 फरवरी 2024:-हॉस्टल के दिन जीवन के स्वर्णिम और खुशनुमा दिन थे। हॉस्टल के दिनों को कभी भुलाया नहीं जा सकता। वहां रहने के दौरान हम सभी दोस्त टपरी में चाय पीने जाते थे। आज भी यहां वो सारे चेहरे नजर आ रहे हैं। मैं जब-जब इन चेहरों को देखता हूं तो हॉस्टल की यादें ताजा हो जाती है।
आजाद हॉस्टल का निवासी होना अपने आप में आजाद होने जैसा है। ये सारी बातें कहीं डिप्टी सीएम व आजाद हॉस्टल के पूर्व छात्र विजय शर्मा ने। रविवार को वीआईपी रोड स्थित एक होटल में रायपुर के सबसे पुराने हॉस्टल में से एक आजाद हॉस्टल श्री का री-यूनियन आयोजित किया गया।
यहां F 1979 से 2005 बैच के स्टूडेंट्स मौजूद रहे। इस दौरान सभी स्टूडेंट्स ने एक-दूसरे से मिलकर पुरानी यादों को ताज़ा किया। इस मौके पूर्व हॉस्टलर ने Steel City online से अपनी सुनहरी यादों को शेयर किया…
2002 बैच के टिकेंद्र प्रकाश सिंह ने बताया कि एक बार डिपार्टमेंट टूर में सभी बस्तर गए। वापसी में रात 3 बज गए तो लड़कियों को भी हॉस्टल में ही रोक दिया गया। हॉस्टल में पहले से मौजूद लड़कों ने लड़कियों और पायल की आवाज सुनी और उन्हें लगा कि ये सपना है। सुबह उठे तो चारों तरफ लड़कियां दिखी। तब पता चला कि ये सपना नहीं सच था।
एचएम से मांग लेता हूं पैसे
1998 बैच के आलोक मिश्रा ने बताया कि : सीनियर होने के नाते गृहमंत्री विजय शर्मा जब भी हॉस्टल आते तो कहते थे एक ही तो हँडसम लड़का है, क्लीन सेव रखा कर। इस पर मैं कहता मेरे पास तो पैसे नहीं है। वो 10 रुपए देते, 5 रुपए सेविंग के और 5 रुपए समोसे खाने के। तब से लेकर आज भी में उनसे मिलता हूं तो पैसे मांग लेता हूं।