व्याख्यान, काव्य पाठ, और सम्मान समारोह का गरिमामय आयोजन….संस्कृति विभाग छत्तीसगढ़ शासन के सहयोग से बहुमत और श्री चतुर्भुज मेमोरियल फाउंडेशन का संयुक्त कार्यक्रम…. डॉ अनीता सावंत, रजनी रजक, अनीता उपाध्याय, विजय त्रिपाठी, डॉ अनीता चौहान, सुचिता मुखर्जी का सम्मान किया गया….

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भिलाई नगर 28 अगस्त 2023 :- कला साहित्य और संस्कृति की संस्था बहुमत तथा सामाजिक संगठन श्री चतुर्भुज मेमोरियल फाउंडेशन ने संस्कृति विभाग छत्तीसगढ़ शासन के सहयोग से भिलाई निवास स्थित काफी हाउस सभागार में ” लोकसंस्कृति और हमारा जीवन ” विषयक व्याख्यान, प्रतिष्ठित कवियों के काव्य पाठ तथा कला के विविध क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान के लिए स्त्री प्रतिभाओं के सम्मान का गरिमामय आयोजन किया।


समारोह का शुभारंभ सेफी चेयरमैन नरेन्द्र बंछोर, संस्कृति कर्मी अशोक तिवारी एवं राहुल कुमार सिंह ,कृति बहुमत के संपादक विनोद मिश्र, श्री चतुर्भुज मेमोरियल फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष डा.अरुण कुमार श्रीवास्तव ने दीप प्रज्वलित कर किया।आयोजकीय वक्तव्य विनोद मिश्र तथा स्वागत वक्तव्य अरुण श्रीवास्तव ने दिया।


आयोजन के प्रथम सत्र में ” लोक संस्कृति और हमारा जीवन” विषय पर व्याख्यान देते हुए पुरातात्विक एवं सांस्कृतिक विषयों के गहन अध्येता राहुल कुमार सिंह ने कहा कि लोक के बारे में मैं सोचने लगा तो लोक में संस्कृति और हमारा जीवन आने लगता है। लोक तो लोक होता है यह समझने की बात है। लोक शब्द दरसल दृष्टि से समेकित शब्द है। लोक इहलोक, परलोक । पुरुष और प्रकृति साक्ष्य दर्शन में कहा जाता है।

लोक को परंपरा के प्रवाह के साथ याद आता है। ओनम पर्व का उदाहरण इस सभी तरह के लोक, जाति, पन्थ के लोग मानते हैं। अपने लोक से अपने लोग से मिलने का पर्व होता है ओणम हमारी संस्कृति का त्यौहार है। लोक वही होता है जब हम समूह में पहुंचे जाते हैं। यह व्यक्ति नहीं समस्ति होता है।लोक परंपरा से आई हुई चीजें हैं। जिस चीज की आवश्यकता होती है तो हम कहते हैं उसे लोक से ले लीजिए।

जिसे सब कुछ समाहित होती है वह परंपरा होती है। कोई चीज अभिलिखित हो जाती है तो वह लोक में दर्ज हो जाता है। उन्होंने कहा कि एक बार तीजन बाई से चर्चा हो रही थी एक पंडवानी प्रसंग हुआ तो तीजन ने जो गाया चौमासा में पत्रिका मे छपा कि ये वेदमती कपालिक है जो पंडवानी है वो लोकदर्शन से आया है।
इसी सत्र का दूसरा व्याख्यान संस्कृति, समाज और मानवशास्त्र के अनुभवी व्याख्याता अशोक तिवारी ने दिया।

श्री तिवारी ने कहा कि भिलाई में हमने लोक संस्कृति पर एक बड़ा आयोजन किया था वर्ष 1995 मे उसमे भीड़ इतनी थी कि तब जाकर पता लगा कि लोक क्या होता है। दशहरा हर गांव में मनाया जाता है लेकिन हर गांव में थोड़ा अलग-अलग मनाया जाता है यही लोग संस्कृति है। हम शहरी लोग खुद को लोक और आदिवासी कहने से कतराते हैं।

हम लोक ही हैं जो अलग-अलग होते हुए भी लोक में समाये हुए हैं। लोगों ने अपना लोक खोया नहीं है लोक मिथक जल्द बना लेता तो। हमारी लोक अस्थाई ही लोक होती है लोक ग्रहणता ही लोक है। लोग अपने आप को शहरी कहते हैं लोक से अलग करने की कोशिश करते हैं लोगों ने लोग को बिगड़ने का काम किया।
आयोजन के दूसरे सत्र में राज्य के प्रतिष्ठित कवियों नीरज मनजीत, देवेंद्र गोस्वामी, राजेश गनोदवाले, श्वेता उपाध्याय, एवं वसु गंधर्व ने अपनी चुनिंदा प्रतिनिधि कविताओं का पाठ किया।ये कविताएं समकालीन सामाजिक परिदृश्य, मनुष्य, जनजीवन, प्रेम, प्रकृति जैसे विषयों पर केंद्रित थी।


आयोजन के तीसरे और अंतिम सत्र में कला, संस्कृति और समाज के विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान के लिए स्त्री प्रतिभाओं का सम्मान हुआ।इस सत्र में डा.सुनीता वर्मा, भावना पांडे एवं सीमा श्रीवास्तव के तीन सदस्यीय अध्यक्षीय मंडल ने स्त्री प्रतिभाओं को शाल,श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया।

लोकगायन के क्षेत्र में प्रदीर्घ साधना के लिए श्रीमती रजनी रजक,रंगमंच के प्रति समर्पित योगदान के लिए श्रीमती अनिता उपाध्याय एवं श्रीमती सुचिता मुखर्जी, सिरामिक आर्ट के प्रति कला समर्पण के लिए श्रीमती विजया त्रिपाठी, पर्यावरण विज्ञान लेखन के माध्यम से लोक जागरण के लिए डा. अनिता सावंत, कमजोर वर्गों की चिकित्सकीय सेवा के लिए डा.अनिता चौहान का सम्मान किया गया।


प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत डा. अरुण कुमार श्रीवास्तव, डी.पी.देशमुख, जसवीर कौर एवं मुमताज ने किया।कार्यक्रम का संचालन प्रो.डी.एन.शर्मा एवं आभार प्रदर्शन जसवीर कौर ने किया।
समारोह में रवि श्रीवास्तव, सोनाली चक्रवर्ती,नासिर अहमद सिकंदर ,प्रदीप भट्टाचार्य, अविनाश शर्मा, विष्णु पाठक , भावना पाण्डेय, राजेन्द्र सोनबोइर,

प्रज्ञावतार साहू, विभाष उपाध्याय, निधि चंद्राकर, मणिमय मुखर्जी, अनिता करडेकर , बी पोलम्मा, निर्मल शर्मा, संजीव तिवारी, यश ओबेरॉय, शुचि भवी, डी पी देशमुख, जोए एंथोनी, संतोष झांझी, शाशी श्रीवास्तव, , डॉक्टर अंजना श्रीवास्तव, डॉक्टर प्रभात श्रीवास्तव आदि अनेक प्रबुद्धजन मौजूद रहे।


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