द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) भिलाई लोकल सेंटर, एवं पर्यावरण प्रबंधन विभाग भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा विश्व वेटलैंड दिवस  के  अक्सर पर  “हमारे साझे भविष्य के लिए आद्र भूमि की रक्षा करना” पर  परिचर्चा  का आयोजन

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भिलाई नगर 04 फरवरी ,2025:-   द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) भिलाई लोकल सेंटर, एवं पर्यावरण प्रबंधन विभाग भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा विश्व वेटलैंड दिवस (विश्व आद्र भूमि दिवस) के अवसर पर रविवार,  02 फरवरी, 2025 को इंजिनियर्स भवन, सिविक सेंटर, भिलाई में संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित विषय “हमारे साझे भविष्य के लिए आद्र भूमि की रक्षा करना” पर एक परिचर्चा कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर विनय कुमार पांडेय, अधिष्ठाता, अभियांत्रिकी महाविद्यालय, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर थे।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्री राजीव कुमार पांडेय, मुख्य महाप्रबंधक, ऊर्जा सुविधाएं एवं पर्यावरण प्रबंधन, भिलाई इस्पात संयंत्र थे।

कार्यक्रम के अतिथि वक्ता के रूप में, डा धीरज खलखो, मुख्य वैज्ञानिक, अभियांत्रिकी महाविद्यालय, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर थे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता द इंस्टीट्यूशन आफ इंजिनियर्स (इंडिया) भिलाई शाखा के चेयरमैन श्री पुनीत चौबे ने की।

मुख्य अतिथि डॉ विनय पाण्डेय अधिष्ठाता, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर ने कहा कि वेटलैंड को बचाने की दिशा में हम सभी को अपना योगदान देना होगा। उन्होंने कहा कि हमारे पारिस्थितिकी तंत्र में वेटलैंड की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। श्री पाण्डे ने कहा कि क्लाइमेट चेंज और पर्यावरण के क्षरण को रोकने की दिशा में बेहतर वेटलैंड प्रबंधन एक महत्वपूर्ण कारक है। श्री पाण्डे ने वाटर शेड प्रबंधन और वेटलैंड के बीच संबंध को विस्तारपूर्वक समझाया।

श्री विनय पाण्डे ने कहा कि वाटर शेड प्रबंधन में वेट लैंड एक बहुत महत्वपूर्ण कारक हैं। उन्होंने बताया कि जल संरक्षण और जल की गुणवत्ता में सुधार तथा मृदा संरक्षण को वाटरशेड प्रबंधन कहते हैं। श्री विनय पाण्डेय ने बताया कि वाटरशेड प्रबंधन के द्वारा मिट्टी और जल संरक्षण, वृक्षारोपण, कृषि संबंधी

अभ्यास, पशुधन प्रबंधन, नवीकरणीय ऊर्जा, ग्रामीण क्षेत्र में संस्थागत विकास के कार्य किये जा रहे हैं। उन्होंने युवा अभियंताओं का आवाहन किया कि उन्हें वाटर शेड प्रबंधन, वेट लैंड संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करना चाहिए जो हमारी आने वाली पीढ़ियों और पर्यावरण संरक्षण के लिए बहुत आवश्यक है। श्री पाण्डेय ने कहा कि सरकार वेटलैंड संरक्षण के विषय में गंभीर हैं तथा इस दिशा में जमीनी स्तर पर काफी कार्य हो रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार के विश्वविद्यालय और शोध संस्थाएं भी वाटर शेड प्रबंधन और वेट लैंड संरक्षण में अध्ययन और शोध कार्य कर रहे हैं।

विशिष्ट अतिथि श्री राजीव कुमार पांडेय, मुख्य महाप्रबंधक, ऊर्जा सुविधाएं एवं पर्यावरण, भिलाई इस्पात संयंत्र ने अपने उदगार व्यक्त करते हुए कहा कि हमें अपने पुरखों से पर्यावरण संरक्षण और प्रबंधन सीखना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वज नदियों की, पहाड़ों की, वनों की पूजा करते थे, उन्हें देवतुल्य मानते थे और इन सभी के संरक्षण और रखरखाव के प्रति बहुत गंभीर रहते थे। श्री राजीव पाण्डेय ने कहा कि हमने वेटलैंड्स को हटा कर उसके स्थान पर बड़े बड़े भवन और अट्टालिकाएं बनाई लेकिन हम यह नहीं समझ पाए कि जिसे हटा कर हम भौतिक सुविधा में बढ़ोतरी कर रहे हैं वही हमारी प्रकृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। श्री राजीव पाण्डेय ने कहा कि हम हर बात के लिए शासन और उससे जुडी व्यवस्थाओं को दोष देते हैं पर क्या पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए हम कभी अपनी जिम्मेदारी के बारे में सोचते भी हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने, केन्द्रीय प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड ने, राष्ट्रिय हरित प्राधिकरण, राज्य पर्यावरण संरक्षण बोर्ड ने अनेक कानून और नियम बनायें हैं और वो इसका पालन कराने हेतु कटिबद्ध हैं।

श्री राजीव पाण्डेय ने कहा कि सभी लोग जल स्त्रोतों के संरक्षण की बातें करते हैं पर हममे से कोई भी इस दिशा में सकारात्मक योगदान देते हुए नहीं दिखता है। उन्होंने कहा जल सम्पूर्ण जीवों के अस्तित्व का एक महत्वपूर्ण अंग है और कोई भी किसी प्रकार के जल स्त्रोत को नुकसान पहुंचाता है उस पर अर्थ दंड और कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए। श्री पाण्डेय ने कहा कि भिलाई इस्पात संयंत्र सदैव जल संरक्षण के प्रति गंभीर रहा है। उन्होंने भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा छत्तीसगढ़ के प्रथम तैरता सौर उर्जा संयंत्र की मरोदा बाँध में स्थापना की जानकारी भी लोगों से साझा की। श्री राजीव पाण्डेय ने कहा ही भिलाई इस्पात संयंत्र भी वेटलैंड (आ‌भूमि) के संरक्षण और विकास में अपना योगदान देगा।

अतिथि वक्ता डा धीरज खलखो, मुख्य वैज्ञानिक, अभियांत्रिकी महाविद्यालय, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर ने अपने प्रस्तुतीकरण में वेट लैंड (आ‌भूमि) के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी

उन्होंने बताया की वेटलैंड, हमारी पृथ्वी के सर्वाधिक उत्पादक पारिस्थितिकी तंत्र हैं जो कि उपलब्ध जल को शुद्ध करने का भी कार्य करते हैं और इसी वजह से इन्हें प्रकृति की किडनी कहा जाता है। डा धीरज खलखो ने बताया कि वेटलैंड पृथ्वी और जल के मध्य का वह स्थान है जहाँ पर पानी का स्तर या तो सतह के बहुत करीब अथवा सतह पर होता है। उन्होंने कहा वेटलैंड पृथ्वी के सतह पर वह जमीन है जो हमेशा या तो पानी में डूबी रहेगी अथवा नमी में रहेगी। डा धीरज खलखो ने बताया कि पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र में वेटलैंड के महत्व को समझ कर सन 1971 में ईरान के रामसर में आयोजित अंतररष्ट्रीय बैठक

में इसके संसाधनों के संरक्षण और बुद्धिमतापूर्ण उपयोग के लिए एक अंतर सरकारी संधि की गयी। भारत सन 1982 में इस संधि का हिस्सा बना और वर्तमान में 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 85 स्थानों को रामसर संधि के अनुसार चिन्हित किया गया है। उन्होंने बताया कि भारत के प्रमुख वेटलैंड में ओडिशा की चिल्का झील, राजस्थान के केवलदेव राष्ट्रीय अभ्यारण्य, पंजाब की हरिके झील, कश्मीर की वुलर झील आदि शामिल हैं। डा धीरज खलखो ने वेटलैंड के द्वारा जलीय चक्र के सञ्चालन और उसके लाभ जैसे बाढ़ नियंत्रण, अनाज उत्पादन, जल शुद्धिकरण के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वेट लैंड (आ‌भूमि) कार्बन अवशोषण कर के पर्यावरण संतुलन में बड़े भागीदार हैं। डा खलखो ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा वेटलैंड के संरक्षण की दिशा में किये जा रहे कार्यों की विस्तार पूर्वक जानकारी दी।

अपने स्वागत भाषण में द इंस्टीट्यूशन आफ इंजिनियर्स (इंडिया) भिलाई शाखा के चेयरमैन श्री पुनीत चौबे ने कहा कि वेटलैंड प्रकृति का एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण अंग है। उन्होंने कहा कि सन 1700 से आज तक लगभग 90 प्रतिशत वेटलैंडस का क्षरण हो चुका है और वन के विनाश से तीन गुना अधिक गति से वेटलैंड ख़तम हो रहे हैं। श्री चौबे ने कहा कि आज के कार्यक्रम का उद्देश्य पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र के इस जरुरी हिस्से के संरक्षण, संवर्धन और सदुपयोग के बारे में जागरूकता पैदा करना है।

द इंस्टीट्यूशन आफ इंजिनियर्स (इंडिया) भिलाई के कार्यकारीणी सदस्य अरविन्द रस्तोगी ने इस अवसर पर विषय के बारे में परिचय और संक्षिप्त जानकारी दी। उन्होंने वेटलैंड से जुडी रोचक जानकारी श्रोताओं से साझा की।

इस अवसर पर भिलाई इस्पात संयंत्र के पर्यावरण प्रबंधन विभाग की महाप्रबंधक प्रभारी श्रीमती उमा कटोच, छत्तीसगढ़ राज्य शासन के तकनीकी शिक्षा और स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी, एन एस पी सी एल के अधिकारी, संस्था के पूर्व अध्यक्ष श्री एम् डी अग्रवाल, श्री बी पी यादव, श्री शिखर तिवारी, संस्था के सम्मानित सदस्यगण, बी आई टी दुर्ग, रूंगटा इंजीनियरिंग कॉलेज, दुर्ग पॉलीटेक्निक के छात्र उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन भिलाई इस्पात संयंत्र पर्यावरण प्रबंधन विभाग के महाप्रबंधक श्री के प्रवीण ने दिया ।


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