छठ पूजा को लेकर इस्पात नगरी के बाजारों में बिखरी रौनक….. पावर हाउस व सुपेला में पसरा लगाकर बिकी पूजन सामग्री…. व्रती परिवारों ने टोकरी सूप नारियल व गन्ना सहित खरीदे फल व सब्जियां…..

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भिलाई नगर  07 नवंबर 2024:-  इस्पात नगरी भिलाई में लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर लोगों ने खरीदारी शुरू कर दी है। दीपावली के बाद छायी खुमारी टूटने के साथ ही आज छठ पूजा को लेकर बाजारों में रौनक देखते बनी। व्रती परिवारों ने आज छठ पूजा में आवश्यक बांस की टोकरी, सूप, नारियल, विभिन्न किस्म के फल और ताजी सब्जियां खरीदी। वहीं नए कपड़े खरीदने के लिए भी लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।


चार दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व को लेकर भिलाई – दुर्ग की सड़कों और बाजारों की रौनक बढ़ गयी है। आज सुबह से व्रती बाजारों में फलों एवं छठ पर्व में प्रयुक्त होने वाले सामान की खरीदारी करते दिखे। व्रत में शुद्धता का विशेष महत्व है। जो भी चीज खरीदी जाती है। व्रती उसे नंगे पांव खरीदते है। पावर हाउस सब्जी मंडी के सामने और अंदर तथा सुपेला बाजार के चारों तरफ फल, दउरा व कलसूप की दुकानें सजी हुई है। दोपहर के बाद इस बाजार में लोगों की भीड़ देखने को मिला। पीतल के बने बर्तन की दुकानों पर भी लोगों की भीड़ दिख रही है।

टोकरी, सूप, नारियल, ईख समेत फलों की खरीदारी भी लोग करते देखे गए। दुकानों को आकर्षक ढंग से सजाया गया है।


लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर मंगलवार को ग्राहकों की भीड़ बाजार में इतनी थी कि पैदल चलना भी मुश्किल हो गया था। देर रात तक बाजारों में लाखों का कारोबार हुआ है। आज सुबह से फिर एक बार बाजारों में रौनक बिखरने लगी।हर कोई सूप, दउरा, अदरक, मूली, ईख, नारियल, नारंगी, केला सहित अन्य सामान की खरीदारी करते नजर आ रहे थे। वहीं साड़ी सहित अन्य कपड़ों की दुकानों पर भी लोगों की भीड़ दिन भर दिखा। कोसी भरने के लिए गमछे का भी मांग बढ़ी हुई रही।

महंगाई पर भारी पड़ी आस्था

छठ पूजा को लेकर काफी संख्या में मिट्टी के बर्तन कलश, घैला, दीया, ढकना, कोसी एवं दौरा, डागरा, छैटा, सूप, सुपली, चंगेली आदि अत्यधिक मात्रा में बिक रहा है। एक तरफ महंगाई है तो दूसरी तरफ श्रद्धा और आस्था। लोगों के उमंग को देखकर ऐसा लग रहा है कि इस बार भी महंगाई पर आस्था भारी है। मंगलवार की शाम और बुधवार की दोपहर तक कुछ ऐसा ही नजारा शहर के बाजारों में देखने को मिला। बाजार में दउरा, सूप, फल सहित पूजा में प्रयोग किए जाने सामान की खूब खरीद-बिक्री हुई। बाजारों में कहीं गन्ना तो कहीं कोसी भरे जाने वाले मिट्टी के पात्र बिक रहे थे। ज्यादातर व्रती परिवार आज सूखने वाले फलों सहित अन्य सामग्रियों की खरीदारी न कर अनुष्ठान के समय में लगने वाले वस्तुओं की खरीदारी ज्यादा करते देखे गये।


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