भिलाई नगर 12 अक्टूबर 2022 इस्पात नगरी भिलाई मे भारत रत्न लोकनायक जयप्रकाश नारायण स्मारक प्रतिष्ठान, आचार्य नरेंद्र देव स्मृति जन अधिकार अभियान समिति एवं चंद्रशेखर फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से जयप्रकाश नारायण की 121 वी जयंती मंगलवार को मनाई गई।
जेपी प्रतिष्ठान एचएससीएल कॉलोनी रूआबांधा सेक्टर में इस अवसर पर ”गांधी गांव और किसान” विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। वहीं विचार गोष्ठी से पूर्व समस्त अतिथियों ने सुपेला रेलवे क्रासिंग के समीप स्थित जेपी प्रतिमा स्थल पहुंचकर अपनी पुष्पांजलि अर्पित की।
विचार गोष्ठी में उपस्थित लोगों ने सबसे पहले संपूर्ण क्रांति के प्रणेता जयप्रकाश नारायण और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री व केंद्रीय मंत्री रहे स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
विचार गोष्ठी में मुख्य अतिथि पूर्व राज्यसभा सांसद अली अनवर अंसारी ने कहा कि देश की सियासी जमात गांधीवाद से दूर हो गई है, अब जेपी को भी भुला दिया गया है। इन दिनों भयावह स्थिति निर्मित होने से देश आर्थिक राजनीतिक और संवैधानिक दृष्टि से विस्फोट के मुहाने पर खड़ा है।उन्होंने कहा कि मौजूदा निजाम मुसलमानों को टारगेट कर सकता है किंतु किसानों को नहीं, क्योंकि किसानों के बूते ही सही मायनों में राजनीति विस्तार ले पाती है।
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व विधायक प्रदीप चौबे ने इस अवसर पर कहा कि एक वक्त था जब देशभर में समाज बदलने का जुनून था। 1974 की स्मृतियों को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि उन दिनों जेपी और लोहिया को लोग पहले से पढ़ते थे बाद में गांधी को लोगों ने पढ़ा। उन्होंने कहा कि राजनीतिक भविष्य निर्माण के लिए इतिहास का पुनरावलोकन जरूरी है किंतु देश में वर्तमान सरकार को लोकतंत्र पर विश्वास नहीं है।
वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार गिरीश पंकज ने कहा कि महात्मा गांधी ने वर्ष 1915 में भारत लौटने के बाद पूरे देश यात्रा की। उसके बाद कहा कि देश का किसान जब भूखा और वस्त्र विहीन है तो मुझे पूरा वस्त्र धारण करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने तुरंत काठियावाड़ी वस्त्र का त्याग कर दिया।
गिरीश पंकज ने कहा कि आज कुत्तों को शौक से पाल रहे हैं और गौमांस का निर्यात बढ़ रहा है। गांधी के इस देश में आज भी किसान और मजदूर नव निर्माण कर सकते हैं।
समाजवादी नेता मनमोहन अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश में समाजवादियों की संख्या भले ही कम है किंतु लौ जल रही है। उन्होंने जेपी आंदोलन का स्मरण करते हुए कहा कि बीजेपी के नैतिक साहस के बूते ही दंगाइयों ने बंदूक समेत आत्मसमर्पण कर दिया था।
आयोजकीय वक्तव्य में संयोजक आरपी शर्मा ने कहा कि वह स्वयं भी 1974 में जेपी आंदोलन के युवा कार्यकर्ता के रूप में शामिल हुए थे। वर्तमान राजनीतिक स्वरूप पर उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जनता को भ्रमित करके देश को लंबे समय तक नहीं चलाया जा सकता। एक ओर किसान आंदोलन को ध्वस्त करने की साजिश की जाती है तो दूसरी ओर भ्रष्टाचारियों को सम्मानित करने की चेष्टा की जाती है।
श्रमिक नेता प्रभुनाथ मिश्र ने कहा कि जनता जब संगठित होती है तब उनका राजनीतिक विकल्प बनते देर नहीं लगती। जेपी ने कहा था कि युवा ही हर दौर में परिवर्तन के वाहक रहे हैं। अंत में नगर निगम रिसाली के सभापति केशव बंछोर ने आगंतुक अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
आयोजन में समाजवादी जनता पार्टी चंद्रशेखर के प्रदेश सचिव नंद किशोर साहू, रामा राव, साहित्यकार रमाकांत बड़ारिया, सत्यनारायण गुप्ता, बृजमोहन, एलके वर्मा, नंदन प्रसाद, शमशेर आलम, मुमताज, कपिल प्रसाद, शिव शंकर सिन्हा, सूबेदार सिंह यादव, त्रिलोक मिश्रा, खिलावन देवांगन, राम उदार पंडित, जयराम यादव, त्रिभुवन मिश्रा, जीव नंदन राय, चंद्रहास, सीएल नाग, धीरेंद्र साहू, अमर नायक, सुभाष चौधरी, महेंद्र महतो, मनराम सिंह, आरडी चौधरी, एपी सिंह और देवेंद्र दत्त रयाल सहित बड़ी संख्या में समाजवादी कार्यकर्ता व सामाजिक प्रतिनिधि उपस्थित थे।