दुर्ग15अक्टूबर2022/ आज छत्तीसगढ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देश पर देश की प्रथम राज्य स्तरीय वृहद जेल लोक अदालत का शुभारंभ वर्चुअल माध्यम से केन्द्रीय जेल रायपुर से न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी, कार्यपालक अध्यक्ष, छत्तीसगढ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण एवं न्यायाधीश, छत्तीसगढ उच्च न्यायालय के द्वारा किया गया। जिसमें सभी जिलो के न्यायिक मजिस्ट्रेट एवं सभी जेल के कर्मचारी वर्चुअल माध्यम से शामिल हुए। वृहद जेल लोक अदालत का आयोजन केन्द्रीय जेल दुर्ग में किया गया। बंदियों को विधिक एवं कानूनी रूप से साक्षर किये जाने के उद्देश्य से भी विशेष जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।
विशेष विधिक साक्षरता शिविर का शुभारंभ न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी, कार्यपालक अध्यक्ष, छत्तीसगढ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण एवं न्यायाधीश, छत्तीसगढ उच्च न्यायालय के द्वारा मां सरस्वती के तैलचित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन कर किया गया । दीप प्रज्जवलन कार्यक्रम में संजय कुमार जायसवाल,जिला एवं सत्र न्यायाधीश दुर्ग,आनंद प्रकाश वारियाल, सदस्य सचिव, पुष्पेन्द्र मीणा कलेक्टर, डॉ. अभिषेक पल्लव, पुलिस अधीक्षक, योगेश क्षत्री, जेल अधीक्षक दुर्ग व न्यायाधीशगण, कर्मचारी व बंदी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में संजय कुमार जायसवाल, जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के द्वारा व्यक्त किया गया कि छत्तीसगढ राज्य के लिये यह गर्व का विषय है कि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वाधान में जेल में निरूद्ध विचाराधीन बंदियों के संबंधित प्रकरणों में प्ली-बारगेनिंग एवं शमनीय प्रकृति के मामलों में समझौते के माध्यम से छोटे अपराधों में जेल में निरूद्ध बंदियों के प्रकरणों को निराकृत किया जा रहा है। जेल लोक अदालत के माध्यम से जो बंदी रिहा होेंगे वे अपने परिवारजनों के साथ त्यौहार मना सकेंगें। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण का मुख्य उद्देश्य विभिन्न सामाजिक मामलों में जागरूकता पैदा करना, कमजोर व पिछडे वर्गों की सहायता करना। जेल परिसर मेें विचाराधीन बंदियों के लिये विधिक जागरूकता शिविर का भी आयोजन किया जा रहा है । कार्यक्रम में न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी, कार्यपालक अध्यक्ष, छ0ग0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण एवं न्यायाधीश, छत्तीसगढ उच्च न्यायालय के द्वारा अपने वक्तव्य में कहा कि छोटे-छोटे अपराध में जो बंदी निरूद्ध है तथा जो विचाराधीन बंदी के रूप में निरूद्ध हैं तथा आधी सजा भुगत चुका है एवं जिसका आचरण व्यवहार अच्छा है उनके लिये वृहद जेल लोक अदालत के माध्यम से उनके प्रकरणों का निराकरण आज किया जा रहा है।
आपने यह सुना ही होगा कि ‘‘न्यायालय आपके द्वार‘‘ इसी कड़ी में यह पहला कदम राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा बढ़ाया गया है। जेल लोक अदालत, लोक अदालत का ही एक भाग है बंदी ये न समझे कि जेल में रहना ही उनका भविष्य है। बंदी अपने को सुधारने की प्रक्रिया मंे ले आवे, अपने दिमाग में सकारात्मक सोंच रखें तथा कोई भी व्यक्ति जन्म से ही अपराधी नहीं होता, कुछ परिस्थितियां आक्रोशवश अपराध की श्रेणी में ले आती है। केन्द्रीय जेल में उस अपराध का प्रायश्चित करते हुए अपने जीवन को और बेहतर बनाने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास करते हुए अपने शरीर में उर्जा का संचार कर सकता है। यह अवसर सुधार करने का है। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के सदस्य सचिव
आनंद प्रकाश वारियाल ने अपने उद्बोधन में कहा कि ‘‘बंदी अपनी अंर्तआत्मा की आवाज सुने और यह निर्णय लें कि जो अपराध वे कर रहें हैं वे सही है या नहीं, बंदी जो अपराध करता है उसका खामियाजा उसके परिवारजन भी भुगतते हैं अकारण परेशान रहते हैं साथ ही प्रियजन की रिहाई के लिये अधिवक्ताओं व न्यायालय के चक्कर लगाते फिरते हैं साथ ही साथ अपराधी जेल में आने के बाद अपनी रिहाई के बारे में चिंतित रहता है। विधिक सेवा प्राधिकरण आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तियों एवं बंदियों के लिये निःशुल्क विधिक सहायता, जिला न्यायालय, उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय स्तर पर उपलब्ध कराता है।‘‘ बंदियों को जागरूक किये जाने हेतु पुलिस अधीक्षक डॉ.अभिषेक पल्लव द्वारा जेल में निरूद्ध बंदियों के मनोबल को बढाते हुए उन्हें अपराध की पुनरावृत्ति न करने की सलाह दी। कार्यक्रम में बंदियों को विधिक रूप से जागरूक एवं विधिक सहायता एवं सलाह योजना की जानकारी देते हुए अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विवेक कुमार वर्मा ने जेल से बाहर निकलने हेतु विधिक उपचार बताया। मंच संचालन न्यायिक मजिस्ट्रेट उमेश कुमार उपाध्याय द्वारा किया गया। केन्द्रीय जेल दुर्ग में वृहद जेल लोक अदालत हेतु कुल 06 खंडपीठ का गठन किया गया जिसमें न्यायिक मजिस्ट्रेट, पीठासीन अधिकारी के रूप में उपस्थित हुए। जेल लोक अदालत में कुल 17 प्रकरण निराकृत हुए।