ट्विन सिटी के उत्कल बस्तियों में बिखरी नुआखाई की रौनक…..
00 पितरों व ईष्ट देवी देवताओं को नए धान का भोग अर्पित कर ग्रहण किया प्रसाद…..
00 पश्चिम ओडिशा मूल के स्थानीय निवासियों में दिखा श्रृद्धा व उत्साह……

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भिलाई नगर 20 सितंबर 2023 / भिलाई – दुर्ग के उत्कल बस्तियों में आज गजब की रौनक देखने को मिली। यह रौनक उनके सबसे बड़े पारम्परिक लोक पर्व नुआखाई को लेकर रही। पितरों व ईष्ट देवी देवताओं को धान की नई फसल से बना भोग अर्पित कर लोगों ने सपरिवार प्रसाद ग्रहण किया। इस दौरान पश्चिम ओडिशा मूल के स्थानीय निवासियों में बना श्रृद्धा और उत्साह देखते बना।


गणेश चतुर्थी के ठीक अगले दिन ऋषि पंचमी पर पश्चिम ओडिशा में नुआखाई का त्योहार मनाया जाता है। परम्परा अनुसार शुद्धता से बनाए गए खीर और परम्परागत मीठे पकवान के साथ साथ धान के नई फसल से प्राप्त अन्न का भोग पितरों व ईष्ट देवी देवताओं को अर्पित कर विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है। भिलाई – दुर्ग सहित खुर्सीपार, रिसाली , मरोदा, जामुल , भिलाई-3, चरोदा, कुम्हारी, देवबलोदा, पुरैना सहित अन्य उत्कल बस्तियों में आज इस पारम्परिक त्योहार को मनाया और नए धान से बने प्रसाद को परिवार के सबसे वरिष्ठ सदस्य के हाथों लेकर ग्रहण किया। इसके बाद अपने से बड़ों का चरण स्पर्श कर नुआखाई की बधाईयों का आदान-प्रदान चलता रहा।


यहां पर यह बताना भी लाजिमी होगा कि नुआखाई का त्योहार संपूर्ण ओडिशा में नहीं मनाया जाता है। पश्चिम ओडिशा के अंतर्गत आने वाले कालाहांडी, नुआपड़ा, बोलांगीर, सम्बलपुर, बरगढ़, झारसुगुड़ा, कोरापुट और रायगढ़ा जिले में इस त्योहार को मनाने की परम्परा रही है। पश्चिम ओडिशा के लोगों का यह सबसे बड़ा त्योहार है। इस त्योहार को परिवार के सभी सदस्य एक साथ मनाते हैं। भिलाई – दुर्ग सहित आसपास में पश्चिम ओडिशा के मूल निवासी बड़ी संख्या में निवासरत हैं। इस वजह से आज यहां के उत्कल बस्तियों में रौनक बिखरी रही।


00 कृषि संस्कृति पर आधारित त्योहार
नुआखाई भाद्रपद शुक्ल पंचमी के दिन मनाए जाने वाला नुआखाई कृषि संस्कृति पर आधारित त्योहार है। नुआखाई का शाब्दिक अर्थ है नया खाना। खेतों में खड़ी नई फसल के स्वागत में यह मुख्य रूप से ओड़िशा के किसानों और खेतिहर श्रमिकों द्वारा मनाया जाने वाला पारम्परिक त्यौहार है। लेकिन समाज के सभी वर्ग इसे उत्साह के साथ मनाते हैं। वर्षा ऋतु के दौरान भादों महीने के शुक्ल पक्ष में खेतों में धान की नई फसल, विशेष रूप से जल्दी पकने वाले धान में बालियां आने लगती हैं। तब नई फसल के स्वागत में नुआखाई का आयोजन होता है। यह कृषि संस्कृति और ऋषि संस्कृति पर आधारित त्योहार है।

00 कल होगा नुआखाई भेंटघाट
नुआखाई में पितरों और ईष्ट देवी देवताओं से घर-परिवार में सुख-समृद्धि और शांति के साथ ही फसल के अच्छे पैदावार की कामना भी की गई। इसके अगले दिन भेंटघाट किया जाता है। यहां भेंटघाट का अर्थ मेल मुलाकात से है। इसमें समाज के लोग एक-दूसरे को नुआखाई की शुभकामनाएं देते हैं। इस दौरान उम्र में छोटे अपने से बड़ों को नुआखाई जुहार कहकर अभिवादन करते हैं। भिलाई – दुर्ग उत्कल बस्तियों में गुरुवार को सामूहिक रूप से सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ नुआखाई भेंटघाट समारोह आयोजित किए जाने की तैयारी है।


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