भिलाईनगर 15 सितंबर 2023:- श्री शंकराचार्य महाविद्यालय, जुनवानी, भिलाई में “मोलेकुलर बायोलॉजी : इट्स एप्रोचेस एंड डेवेलपमेंट इन द रिसेंट एरा” विषय पर सी- कॉस्ट द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन जंतुविज्ञान विभाग व माइक्रोबायोलाजी विभाग द्वारा किया गया । इस सम्मेलन के उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग की कुलपति डॉ. अरूणा पलटा, श्री गंगाजली एजुकेशन सोसायटी के चेयरमेन आई पी मिश्रा, विशिष्ट अतिथि एवं मुख्य वक्ता डॉ. मोहम्मद मजरूल करीम, प्रोफेसर, ढाका विश्वविद्यालय, बांग्लादेश उपस्थित रहे ।
अतिथियों ने कार्यक्रम के प्रारंभ में बायोटेक्नोलाजी एवं माइक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा आयोजित प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस प्रदर्शनी में प्रमुख रूप से महाविद्यालय की प्रयोगशाला में मंदिरों में चढ़े हुए फूलों की मदद से गुलाब जल और सूखे हुए फूलों का उपयोग कर हवन धूप विद्यार्थियों द्वारा बनाया गया है। इसके साथ ही साथ अलग अलग औषधि पौधों का अर्क और असेंसियल आइल निकाल कर बहुत सारे हर्बल प्रोटक्ट बनाए गए हैं। जिसमें जिसमें मच्छर भगाने का रिफलेन्ट, हर्बल साबुन, स्टेन रिमूवर कंडीशनर, फ्लोर क्लिनर, हैंडवास, हर्बल स्ट्रबर, हर्बल शैम्पू, रूम फ्रेशनर, एंटी डेड्रफ सीरम जैसे प्रोडक्ट तथा घर में दैनिक उपयोग में लाई जाने वाली वस्तुएं बनाई गई है।
उद्घाटन समारोह का प्रारंभ माता सरस्वती के पूजन एवं छत्तीसगढ़ी राज्यगीत के साथ किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में डॉ. अर्चना झा, प्राचार्य श्री शंकराचार्य महाविद्यालय, जुनवानी, भिलाई द्वारा स्वागत भाषण दिया गया।
श्री गंगाजली एजुकेशन सोसायटी के चेयरमेन आई पी मिश्रा ने अपने उद्बोधन में कहा कि कोरोना महामारी के समय कोरोना के बचाव में मोलीकुलर बायोलाजी नें बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सम्मेलन के ई – सोविनियर का विमोचन मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों द्वारा क्यू आर कोड के माध्यम से किया गया।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ. अरूणा पलटा ने बताया कि महारानी चक्रवती ने सबसे पहले माइक्रोबायोलॉजिकल की खोज की और उन्होंने बताया कि श्री उबेक सिद्दीकी को फादर ऑफ माइक्रोबायोलॉजी के रूप में जाना जाता है। डॉ. पलटा ने क्लोनिंग, डीएनए, पीसीआर, जीनथेरेपी जैसे महत्वपूर्ण विषयों के बारे में जानकारी प्रदान की ।
तकनीकी सत्र के प्रारंभ में इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की समन्वयक डॉ. सोनिया बजाज ने सम्मेलन का परिचय दिया ।
बांग्लादेश से आए डॉ. मोहम्मद करीम द्वारा जीवित जीवों के वर्गीकरण जीनोम प्रोजेक्ट तथा पौधों पर वातावरण के परिवर्तन से होने वाले प्रभाव ह्यूमन और उनमें तनाव जैसे लवण तनाव आदि का पौधों में हानिकारण तथा लाभदायक प्रभाव को विभिन्न शोध तकनीक की सहायता से विचारपूर्वक समझाया।
सम्मेलन की द्वितीय सत्र में डॉ. प्रज्ञा कुलकर्णी, प्रोफेसर, वि.या.ता. स्व. महाविद्यालय दुर्ग द्वारा वातावरण में सूक्ष्म जीवों के द्वारा जलजनित तथा खाद्यजनित रोग के फैलने तथा उनके परीक्षण की विभिन्न तकनीकों का वर्णन किया ।
महाविद्यालय के द्वारा आमंत्रित अतिथियों को स्मृति चिन्ह एवं विद्यार्थियों द्वारा निर्मित हर्बल प्रोडक्ट, सीड बॉल एवं घोंसला प्रदान कर सम्मानित किया गया। धन्यवाद ज्ञापन सम्मेलन की सह-समन्वयक डॉ. रचना चौधरी ने ज्ञापित किया तथा कार्यक्रम का संचालन डॉ. वंदना सिंह एवं रचना तिवारी के द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में डॉ. केशर जमीन, डायरेक्टर जीएम रेड्डी रिसर्च फाउंडेशन, तेलंगाना, डॉ. सतीश बी वेरूलकर, हेड डिपार्टमेन प्लांट मोलेकुलर बायोलाजी एंड बायोटेक्नोलाजी इंदिरागांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर, प्रकाश राय,
डिपार्टमेंट आफ लाइफ साइंस, स्कूल आफ यूनिवर्सिटी, रायपुर, श्री शंकराचार्य प्रोफेसनल यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. ए.के. झा उपस्थित रहे तथा विभिन्न महाविद्यालय प्राध्यापक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।