कार्तिक पूर्णिमा पर शिवनाथ में हजारों ने लगाई आस्था की डुबकी
00 चंद्र ग्रहण का सूतक लगने से पहले लोगों ने किया दीप दान
00 भोर होने से पहले नदी के तट पर बिखरी उत्सवी छंटा

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भिलाईनगर / कार्तिक पूर्णिमा के मौके शिवनाथ नदी के तट पर हजारों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाए। पवित्र स्नान के बाद चन्द्र ग्रहण का सूतक लगने से पहले लोगों ने नदी में दीप दान किया। इसके लिए भोर होने से पहले ही जुटी भीड़ के चलते शिवनाथ नदी तट पर उत्सवी छंटा बिखरी रही।


मंगलवार की सुबह 3 बजे से शिवनाथ नदी में स्नान और दीपदान शुरू हो गया। इस बार चन्द्र ग्रहण का सूतक लगने की वजह से लोगों में कार्तिक पूर्णिमा पर पुण्य स्नान और दीप दान को लेकर हड़बड़ी मची रही। आज देव दीपावली पर शाम को घरों में दीपमालाएं कर भगवान विष्णु का आह्वान भी किया जाएगा। चन्द्र ग्रहण छंटने के बाद पुनः स्नान कर लोग घरों में पूजा अर्चना करेंगे। कुम्हारी के खारुन नदी पर भी भिलाई शहर सहित भिलाई-3 चरोदा व कुम्हारी के लोगों ने भोर होने से पहले पहुंचकर डुबकी लगाई और दीप दान किया।


उल्लेखनीय है कि कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु ने अपने पहले अवतार यानी मत्स्य रूप धारण किया था वहीं महादेव ने आज ही के दिन त्रिपुरासुर नाम के असुर का वध किया था जिसे ब्रह्मा का वरदान मिला था। त्रिपुरासुर के वध के बाद महादेव को त्रिपुरारी के नाम से भी पुकारा जाने लगा। इस दिन गंगा स्नान का महत्व है। स्थानीय नदियों में भी स्नान कर दीपदान किया जाता है। इस दिन क्षीरसागर दान भी किया जाता है, जिसमें बर्तन में 24 उंगल ऊंचाई तक दूध भरकर उसमें सोने या चांदी की मछली डालकर उसका दान किया जाता है।


देवताओं ने मनाया था उत्सव
देवउठनी एकादशी के बाद से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक देवताओं ने पांच दिन का उत्सव मनाया था।देव उठनी एकादशी के दिन क्षीरसागर में भगवान विष्णु लंबी निद्रा के बाद जागे थे और पूर्णिमा के दिन वे देवलोक पहुंचते हैं। जहां उनके आगमन पर सभी देवी-देवताओं ने दीपमाला जलाकर उनका स्वागत किया था। इसलिए कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली भी कहा जाता है। इस पूर्णिमा को सबसे बड़ी पूर्णिमा माना जाता है। इसमें तीर्थ स्नान का बड़ा महत्व है। पवित्र नदियों में इस दिन स्नान करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है


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