केंद्रीय सांस्कृतिक सचिव मोहन गोपाल ने अंकुश देवांगन द्वारा किए गए कला कार्य और समाज सेवा के लिए उनकी सराहना की…

IMG_20240530_154000.jpg

भिलाई नगर 30 मई 2024:-  : संस्कृति मंत्रालय, नई दिल्ली के संस्कृति सचिव मोहन गोपाल ने भारतीय कलाजगत मे डा. अंकुश देवांगन द्वारा किए गए कलाकार्य और समाजसेवा के लिए उनकी सराहना की। विगत दिनो नई दिल्ली स्थित इंडिया हेबिटेट सेन्टर में देश भर से आए हुए कलाकारो के बीच अंकुश ने छत्तीसगढ़ की समृद्ध कला-संस्कृति का विशद वर्णन किया।


ज्ञात हो कि अंकुश देवांगन ने न सिर्फ छत्तीसगढ़ वरन देश के अनेक शहरो में एक से बढ़कर एक कलाकृतियों का निर्माण किया है। उनकी बनाई अनेक कृतियां चार-छह मंजिल इमारत जितनी ऊंची है। भिलाई मे उन्होंने सिविक सेंटर में कृष्ण-अर्जुन रथ, सेल परिवार चौक, भिलाई निवास में नटराज, रूआबाधा में पंथी चौक, बोरिया गेट में प्रधानमंत्री ट्राफी चौक, सेक्टर 1 में श्रमवीर चौक, सेक्टर 8 के सुनीति उद्यान में एथिक्स कलाकृतियो का निर्माण किया है। सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय क्राफ्ट मेला हरियाणा, वसुंधरा उद्यान दुर्गापुर स्टील प्लांट, पुरखौती मुक्तागन रायपुर, राजभवन भोपाल, मदकूद्वीप, विश्व का सबसे बड़ा लौहरथ दल्ली राजहरा उनके कालजयी कलाकृतियों की दास्तान है। उन्हें अपनी कलाओं के लिए दो बार लिम्का एवं एक बार गोल्डन बुक ऑफ द वर्ल्ड रिकॉर्ड का एवार्ड मिल चुका है।

कला के द्वारा समाजसेवा की भी वे अलख जगा रहे हैं। वे छत्तीसगढ़ के नक्सली क्षेत्र से लगे हुए दल्ली राजहरा मे पैदा हुए हैं। उन्होंने देखा है कि बीहड़ क्षेत्र के बच्चे जल्दी ही नक्सलियों के बहकावे में आ जाते हैं परन्तु जिन्हें कला प्रशिक्षण दिया जाता है वे सभ्य नागरिक बन रहे हैं। तब से बच्चों को कला प्रशिक्षण देना उन्होंने अपना जीवन लक्ष्य बना लिया है। वे छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल प्रभावित इलाकों में लगभग 35 वर्षों से कलाप्रदर्शनी तथा कला प्रशिक्षण देते आ रहे हैं ताकि यहां के बच्चे हिंसा के क्षेत्र में न जाएं और सृजनशील बनें। जिसका उचित प्रतिफल भी सामने आते रहा है। वे जानते हैं कि उनके इन छोटे-छोटे कार्यों से कोई बड़ी क्रांति नही आ जाएगी किन्तु यदि इससे एक भी बच्चा हिंसा के रास्ते में जाने से बच गया तो वह और उसकी कला धन्य हो जाएगी।

उनकी कला और समाजसेवा से प्रभावित होकर केंद्र सरकार ने उन्हें ललित कला अकादमी की मानद सदस्यता प्रदान की है। जहां वे छत्तीसगढ़ राज्य के पहले कलाकार बने हैं जिन्हें इसके एक्जीक्यूटिव बोर्ड में चुने जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। अपने प्रथम बोर्ड मीटिंग मे ही उन्होंने भिलाई मे ललित कला के रीजनल सेन्टर की मांग की थी जो अब पूर्णता की कगार पर है।
बहरहाल अंकुश ने नई दिल्ली में संस्कृति सचिव तथा सभा को बताया कि छत्तीसगढ़ क्षेत्र पहले दक्षिण कोसल कहलाता था जो भगवान श्रीराम का ननिहाल रहा है। यही कारण है कि पूरे भारतवर्ष में सिर्फ यही प्रक्षेत्र है जहां भांजे के चरण छूए जाते हैं। छत्तीसगढ़ की इस पौराणिक परम्परा का आए हुए वरिष्ठ आई.ए.एस. एवं अन्य अतिथियों ने भूरी-भूरी प्रशंसा की।

इस दौरान नेशनल गैलरी आफ माडर्न आर्ट के डायरेक्टर जनरल संजीव जी तथा ललित कला अकादमी बोर्ड मेम्बर के सदस्य तथा केंद्र सरकार के अनेक अधिकारीगण मौजूद थे। अंकुश ने संस्कृति सचिव से भिलाई मे ललित कला अकादमी के रीजनल सेन्टर को शीघ्र शुरू करने की बात रखी जिस पर उन्होंने नया सरकार बनते ही हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है। राष्ट्रीय मंच नए दण्डपर छत्तीसगढ़ी कला संस्कृति के वैभव को प्रसारित करने पर ललित कला समूह से प्रख्यात मॉडर्न आर्ट चित्रकार डी.एस.विद्यार्थी, विजय शर्मा, मोहन बराल, पी.वाल्सन, उमाकांत ठाकुर, कमलेश सक्सेना, विनीता गुप्ता, प्रवीण कालमेघ, मीना देवांगन एवं साहित्यकार मेनका वर्मा ने हर्ष जताया है।


scroll to top