पाटन 17 अगस्त 2023 / भाजपा हाईकमान ने आज छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए 21 प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। पाटन से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ उनके परंपरागत प्रतिद्वंदी विजय बघेल को टिकट दिया है । विजय बघेल के पाटन से भाजपा प्रत्याशी घोषित होते ही दुर्ग जिले की राजनीति में गरमाहट भर आई है। आसन्न विधानसभा चुनाव में पाटन सीट हाईप्रोफाइल बनी रहेगी। पूरे विधानसभा चुनाव के दौरान छत्तीसगढ़ में सबकी नजर पाटन विधानसभा सीट पर ही रहेगी कि यहां का ताज इस दफा किसके सिर पर बंधेगा ऐसी चर्चा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 2 सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं फिलहाल यह केवल चर्चाएं में ही है अभी तक कांग्रेस ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं ।
यूं तो इस बात की संभावना पहले से ही व्यक्त की जा रही थी। किंतु चुनाव के 4 महीना पहले छत्तीसगढ़ के महत्वपूर्ण विधानसभा से पाटन से प्रत्याशी के तौर पर विजय बघेल को उतारकर भारतीय जनता पार्टी ने राजनीतिक प्रेक्षकों को भी चौंका दिया है । पाटन सीट पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व सांसद विजय बघेल 2003 से ही आमने-सामने होते रहे हैं। वर्ष 2003 के चुनाव में विजय बघेल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से प्रत्याशी थे। इस चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला हुआ और कांग्रेस से भूपेश बघेल ने हैट्रिक जीत दर्ज कर लिया। 2008 के चुनाव में सांसद विजय बघेल ने भाजपा प्रत्याशी के रूप में इस सीट पर सीधे मुकाबले में भूपेश बघेल को शिकस्त दी थी । वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में दोनों के बीच फिर से मुकाबला हुआ और इस बार भूपेश बघेल ने अपनी पिछली हार का बदला ले लिया।
पिछली 2018 के चुनाव में कांग्रेस के भूपेश बघेल के अपोजिट मोतीलाल साहू को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया था। वे बुरी तरह हार गए थे। भूपेश बघेल जैसे राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी के सामने मोतीलाल साहू जैसे नए चेहरे को उतारने की बात किसी को हजम नहीं हुई थी । मगर ऐसा हुआ और वह चुनाव भूपेश बघेल के लिए सबसे आसान साबित हुआ । इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में विजय बघेल को भाजपा ने दुर्ग लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया और उन्होंने भारी बहुमत से विजय दर्ज की।
भाजपा व कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि दोनों ही दलों के स्थानीय लोगों को ऐसा अंदेशा पहले से हो चुका था, कि पाटन मे विजय बघेल को प्रत्याशी बनाने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपनी सीट बदल भी नहीं सकते, क्योंकि इससे नीतिगत जवाबदेही उत्पन्न होना स्वाभाविक है।
निसंदेह मुख्यमंत्री बनने के बाद भूपेश बघेल ने पाटन का विकास किया है। यह कांग्रेस का बड़ा हथियार है। लोग मानते हैं कि साढ़े चार साल में पाटन की तस्वीर और तकदीर बदली है। वहीं भाजपा के पास मुख्यमंत्री के खिलाफ शराब बंदी तथा पाटन में कथित तौर पर बढ़ते अपराध का हथियार होगा। आरोप प्रत्यारोप जमकर होगा। 23 साल की राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विजय बघेल के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की थी। जब से भाजपा ने विजय बघेल को चुनाव घोषणा पत्र समिति का संयोजक बनाकर प्रदेश भाजपा का बड़ा चेहरा बनाया है तब से मुख्यमंत्री भी अब बोलने लगे हैं। पाटन के चुनाव में संभावना यह भी है कि दोनों तरफ से तीर जमकर चलेगा।
बहरहाल विजय बघेल की पाटन में गहरी पैठ है । सभी जानते हैं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पाटन क्षेत्र से यदि कोई टक्कर देने की क्षमता रखता है तो वह सांसद विजय बघेल है । पाटन इलाके में दोनों के परंपरागत वोट बैंक है ।
पाटन विधानसभा क्षेत्र कुर्मी बहुल है । इसके अलावा साहू समाज, सतनामी समाज की भी बहुलता है। क्योंकि दोनों प्रत्याशी कुर्मी समाज से हैं और आपस में रिश्तेदार भी है। लिहाजा वोटों की सामाजिक ध्रुवीकरण का सवाल अब किनारे लग जायेगा। भाजपा से विजय बघेल को प्रत्याशी बनाने की घोषणा के बाद सबका ध्यान पाटन विधानसभा क्षेत्र पर टिक गया है ।
भूपेश बघेल को उसके गृह क्षेत्र में घेरने की रणनीति के तहत विजय बघेल को प्रत्याशी बनाया जाना कांग्रेस के लिए चुनौती है। अब भूपेश बघेल राज्य के अधिक सीटों पर ताबड़तोड़ चुनावी प्रचार प्रसार नहीं कर पाएंगे ।
ऐसा भाजपा का सोचना है इसी तरह दुर्ग ग्रामीण विधानसभा सीट पर गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू के खिलाफ भी एक ऐसे प्रत्याशी को उतारे जाने की संभावना है जो उन्हें उनके क्षेत्र में कड़ी टक्कर दे सके ।
कुछ यही हाल कांग्रेस के कई अन्य बड़े नेताओं के क्षेत्रों में भी है। बताया गया कि भाजपा की रणनीति दिल्ली से चल रही है। गृह मंत्री अमित शाह छत्तीसगढ़ की राजनीति पर सीधा दखल दे रहे हैं। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का फीलगुड महसूस करने वाले लोगों के लिए यह झटका देने वाली खबर है।
अमित शाह एवं उनकी टीम मानती है की एक एक सीट पर ध्यानपूर्ण रणनीति से छत्तीसगढ़ में भाजपा की सत्ता काबिज की जा सकती है । अभी तक भाजपा ने अपनी चुनावी गतिविधियों की हल्की झलक ही दिखाई है आगे पता नहीं कैसे-कैसे निर्णय लिए जाएंगे जो चौकाने वाले आने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता।किंतु यह भी स्पष्ट होता दिखाई दे रहा है की भाजपा प्रदेश में कांग्रेस के क्षत्रपों को उनके ही क्षेत्र में घेरने की तैयारी पर काम कर रही है ।कमोबेश आगे जारी होने वाली सूचियों मे भी ऐसे ही अप्रत्याशित फैसले देखने सुनने में आने की प्रबल संभावना है।
निसंदेह विजय बघेल ने मुख्यमंत्री के सामने टिकट लेकर बड़ा साहस का काम किया है, इसलिए कि मुख्यमंत्री पूरे भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है, और अब विजय बघेल सीएम के सामने चुनौती बनकर खड़े होंगे। इसका कितना राजनीतिक असर होगा यह तो आने वाला समय बताएगा, पर सांसद विजय बघेल छत्तीसगढ़ भाजपा में एक बड़ा चेहरा जरुर बन गए। पहले लोकसभा का टिकट, उसमें रिकार्ड मतों से एतिहासिक जीत, फिर छत्तीसगढ़ भाजपा का अध्यक्ष बनने की चर्चा, फिर केंद्रीय मंत्री मंडल में शामिल करने की चर्चा, यह तमाम चर्चा बताते है कि राष्ट्रीय नेतृत्व भी कहीं न कहीं विजय बघेल को लेकर छत्तीसगढ़ में कुछ संभावना टटोल रहा है। कहा जा रहा है कि इसी टटोले जाने संभावना का हिस्सा है उन्हें पाटन से टिकट दिया जाना, हारे तो भी कोई बात नहीं क्योंकि छत्तीसगढ़ के सीएम से हारे, जीते तो सोने पर सुहागा।