भिलाई इस्पात संयंत्र के मुख्य चिकित्सालय पंडित जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय एवं अनुसंधान केंद्र में कोल्पोस्कोपी कार्यशाला का आयोजन

IMG_20240402_190944.jpg

भिलाई नगर 2 अप्रैल 2024 :-  भिलाईइस्पात संयंत्र के मुख्य चिकित्सालय, जवाहरलाल नेहरु एवं अनुसंधान केंद्र के प्रसूति एवं स्त्री रोग और प्रजनन स्वास्थ्य विभाग द्वारा, 31 मार्च 2024 को एक लाइव कोल्पोस्कोपी कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला का आयोजन, सीएसआर-आरसीएच पहल के तहत की गई थी।

कार्यशाला का आयोजन मुख्य चिकित्सा अधिकारी प्रभारी (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवांए)      डॉ एम रविन्द्रनाथ के मार्गदर्शन में किया गया। इस कार्यशाला में मुख्य चिकित्सा अधिकारी (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवांए) डॉ प्रमोद बिनायके, मुख्य चिकित्सा अधिकारी (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवांए) डॉ विनीता द्विवेदी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवांए) डॉ के ठाकुर सहित एसीएमओ एवं प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ संगीता कामरा उपस्थित थे।

कार्यशाला का उद्घाटन मुख्य चिकित्सा अधिकारी (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवांए) डॉ प्रमोद बिनायके द्वारा किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ कॉन्फ्रेंस हॉल में दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। डॉ बिनायके ने सभा को संबोधित कर इस कार्यशाला का महत्व बताया। डॉ संगीता कामरा ने इस कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में स्वागत भाषण प्रस्तुत किया।

इस कार्यशाला सत्र के लिए फैकल्टी के रूप में प्रतिष्ठित कोल्पोस्कोपी विशेषज्ञ डॉ आशा जैन वहाँ उपस्थित थीं। डॉ आशा जैन, एसएमएसए हॉस्पिटल रायपुर, यूएसजी और कोल्पोस्कोपी के लिए एफओजीएसआई मान्यता प्राप्त प्रशिक्षण केंद्र की निदेशक हैं, जो आईएससीसीपी कोल्पोस्कोपी की ट्रेनर भी हैं। नागपुर से आई डॉ लीना बिरे, इस कार्यशाला सत्र के लिए दूसरी फैकल्टी थीं। सलाहकारों के साथ-साथ डीएनबी प्रशिक्षुओं को विचार-विमर्श और प्रक्रिया के (प्रैक्टिकल डेमोंस्ट्रेशन) व्यावहारिक प्रदर्शन से काफी लाभ हुआ।

कार्यशाला को आगे बढ़ाते हुए, गेस्ट फैकल्टी द्वारा सत्रों का संचालन किया गया। जिसमें डॉ आशा जैन ने, सर्वाइकल पैथोलॉजी के सभी व्यावहारिक पहलुओं की संक्षिप्त जानकारी प्रदान की। डॉ लीना बिरे ने, सभी आयामों में कोल्पोस्कोपी, कोल्पोस्कोपिक निष्कर्षों के पैथोलॉजिकल आधार के साथ-साथ सर्वाइकल इंट्रा एपिथेलियल नियोप्लासिया के प्रबंधन में कोल्पोस्कोपी की भूमिका के बारे में चर्चा की। डॉ आशा जैन और डॉ लीना बीरे ने भी कैंसर की रोकथाम के महत्व के बारे में चर्चा की।

कार्यशाला के दौरान, स्त्री रोग ओपीडी में 27 महिलाओं की जांच की गई और इसका कॉन्फ्रेंस हॉल में लाइव प्रसारण किया गया। कोल्पोस्कोपी, गर्भाशय के एंट्री पॉइंट की सूक्ष्म संरचना को देखने के लिए की जाने वाली एक जांच है, जो कैंसर के लिए एक आम जगह है।

यदि कोलोस्कोप का उपयोग करके समय पर जांच कराने से प्रीकैंसर चरण की पहचान की जाती है, तो उचित उपचार और देख-रेख से कैंसर को बढ़ने से रोका जा सकता है। भारत में महिलाओं में गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। दुनिया भर में हर साल लगभग 6.6 लाख महिलाओं में गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का पता चलता है, जिनमें से लगभग 1.5 लाख महिलाएं भारत से होती हैं।

सर्वाइकल कैंसर से हर साल लगभग 65 हजार मौतें होती हैं। सर्वाइकल कैंसर एकमात्र ऐसा कैंसर है जिसे शीघ्र पता लगाने के लिए की जाने वाली स्क्रीनिंग से, टीके से तथा समय पर इलाज से 100 प्रतिशत रोका जा सकता है।

डब्ल्यू एच ओ ने वर्ष 2030 तक 90-70-90 का लक्ष्य रखा है। इसका मतलब है कि 15 वर्ष की आयु तक 90 प्रतिशत किशोरियों का टीकाकरण किया जाना चाहिए, 35 वर्ष की आयु तक कम से कम 70 प्रतिशत महिलाओं की जांच की जानी चाहिए और 2030 तक 90 प्रतिशत महिलाओं का उचित इलाज किया जाना चाहिए।

कोल्पोस्कोपी कैंसर का शीघ्र पता लगाने के लिए महिलाओं की जांच करने वाले उपकरणों में से एक है। कैंसर का संकेत मिलने पर, समय-समय पर किये जाने वाले स्त्री रोग संबंधी जांच, पीएपी स्मीयर और कोल्पोस्कोपी कैंसर के कारण होने वाले मृत्यु को रोकने में काफी मदद करती है।

एसीएमओ और ओ एंड जी यूनिट 2 के प्रमुख डॉ रोशन हुसैन ने कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन दिया। उद्घाटन कार्यक्रम का संचालन डॉ प्रभदीप कौर और डॉ हिमानी गुप्ता ने किया।


scroll to top